अनकहा अहसास - अध्याय - 2

(17)
  • 11.6k
  • 2
  • 6.6k

अध्याय -2लगभग ढाई वर्ष पूर्व रमा, अनुज और कॉलेज के कुछ और दोस्तों का कितना बढ़िया ग्रुप था। एक साथ एम.एस.सी. किए थे और लगभग हर शनिवार और रविवार को साथ में अपना अड्डा जमाते थे। सभी लोग रोजगार की तलाश में थे। तो अकसर उनका टॉपिक यही होता था।क्या भाई मनोज अब क्या करने का इरादा है ? अनुज ने पूछा। मैं तो सोच रहा हूँ कि आई.ए.एस. की तैयारी करूँगा। मेरे पापा तो मुझे दिल्ली भेजने के लिए तैयार भी हो गए हैं। तू बता तू क्या करने वाला है मैंने तो सोच लिया है भाई कि मैं पापा के