Ankaha Ahsaas book and story is written by Bhupendra Kuldeep in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Ankaha Ahsaas is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
अनकहा अहसास - Novels
by Bhupendra Kuldeep
in
Hindi Love Stories
स्वर्णभूमि सोसायटी,
रमा तीसरी मंजिल पर फ्लैट की बालकनी में बैठकर ऑफिस का कुछ काम निपटा रही थी।
अभी-अभी सूर्योदय हुआ था। हल्की बौछार के बाद अचानक धूप के खिलने से मिट्टी की सौंधी खूशबू उसको आल्हादित कर रहीं थी कि अचानक पीछे से आवाज आई।
दीदी चाय लाऊँ ?
आँ !!! उसने शायद सुना नहीं ।
चाय लाऊँ क्या दीदी ? ये उसकी कुक थी जो रोज सुबह सात बजे आ जाती थी और उसका नाश्ता खाना टिफिन बनाकर आठ बजे तक चली जाती थी।
ओ, हाँ रेवती ले आओ ? कितने बज गये हैं ? मुझे काम में ध्यान ही नहीं रहा।
आठ बज गए हैं दीदी ! मेरा काम खत्म हो गया है और कुछ करवाना है तो बताईये नहीं तो मैं जाऊँगी।
हाँ वो बाथरूम में गीजर चालू कर दे। मेरा गरम पानी से नहाने का मन कर रहा है। गरम पानी से नहाऊँगी तो अच्छा लगेगा।
ठीक है दीदी मैं चालू करके जा रही हूँ कल आऊँगी।
अच्छा ठीक है जा। अखबार पड़ा है क्या बाहर, देख और अंदर करती जा।
अध्याय - 1स्वर्णभूमि सोसायटी, रमा तीसरी मंजिल पर फ्लैट की बालकनी में बैठकर ऑफिस का कुछ काम निपटा रही थी।अभी-अभी सूर्योदय हुआ था। हल्की बौछार के बाद अचानक धूप के खिलने से मिट्टी की सौंधी खूशबू उसको आल्हादित कर ...Read Moreथी कि अचानक पीछे से आवाज आई।दीदी चाय लाऊँ ?आँ !!! उसने शायद सुना नहीं ।चाय लाऊँ क्या दीदी ? ये उसकी कुक थी जो रोज सुबह सात बजे आ जाती थी और उसका नाश्ता खाना टिफिन बनाकर आठ बजे तक चली जाती थी।ओ, हाँ रेवती ले आओ ? कितने बज गये हैं ? मुझे काम में ध्यान ही नहीं रहा। आठ
अध्याय -2लगभग ढाई वर्ष पूर्व रमा, अनुज और कॉलेज के कुछ और दोस्तों का कितना बढ़िया ग्रुप था। एक साथ एम.एस.सी. किए थे और लगभग हर शनिवार और रविवार को साथ में अपना अड्डा जमाते थे। सभी लोग ...Read Moreकी तलाश में थे। तो अकसर उनका टॉपिक यही होता था।क्या भाई मनोज अब क्या करने का इरादा है ? अनुज ने पूछा। मैं तो सोच रहा हूँ कि आई.ए.एस. की तैयारी करूँगा। मेरे पापा तो मुझे दिल्ली भेजने के लिए तैयार भी हो गए हैं। तू बता तू क्या करने वाला है मैंने तो सोच लिया है भाई कि मैं पापा के
अध्याय - 3क्या लोगी रमा ? अनुज ने बैठते हुए पूछा। मतलब ?मतलब तुम्हे खाने में क्या पसंद है ?तुमने बुलाया है जो तुम्हे पसंद है वो खिलाओ।नहीं,नहीं। तुम बताओ ना क्या मगाऊँ ?कुछ भी मंगा लो जो यहाँ ...Read Moreमिलता हो। अच्छा ठीक है। भैया जरा यहाँ आईए। यहाँ क्या सबसे अच्छा मिलता है ?हैदराबादी पुलाव और कश्मीरी पुलाव बहुत अच्छा है आप चाहे तो ट्राई कर सकतें हैं।क्या बोलूँ रमा ?जो भी, अच्छा कश्मीरी पुलाव मंगालो।ठीक है भैया। यही ले आईये।वेटर आर्डर लेकर चला गया। अच्छा ये बताओ इतनी क्या आतुरता थी मुझे डिनर पर लाने की ? रमा नू पूछा।यूँ
अध्याय - 4अच्छा ठीक है अब कब मिलोगी। शादी के मंडप में और क्या ? रमा बोली।अरे यार ऐसी सजा मत दो कम से कम फोन पर तो बात कर सकती हो।हाँ बिलकुल। पर जब तक सब कुछ तय ...Read Moreहो जाता सिर्फ मैं फोन करूँगी।दिन में एक बार ?नहीं एक एक दिन के गैप में वरना तुम अपने काम पर ध्यान नहीं दोगे।चलो ठीक है मैं जल्दी ही अपने पापा से बात करूँगा।दोनों वहाँ से निकल गए। अब अनुज का एक ही लक्ष्य था। अपने पापा को बिजनेस में हाथ बटाना और उनके बिजनेस को बढ़ाना। वो काफी तेजी से
अध्याय - 5तो फिर क्या सोचा आप लोगों ने ? अनुज के पिता ने पूछा। मैं अनुज से मिलना चाहता हूँ। रमा के पिता ने कहा।अच्छा मैं उसको बुलाता हूँ कहकर उन्होंने अनुज को फोन कर अंदर आने को ...Read Moreएक स्मार्ट, गोरा चिट्टा, ऊँचा पूरा लड़का अंदर आते दिखा।आओ अनुज। अनुज के पिता ने कहा।अनुज आया और रमा के माता-पिता का पैर छुआ। बैठो बेटा। देखो आप दोनों की खुशी में ही हमारी खुशी है। इसलिए हम सभी इस रिश्ते से सहमत हैं। रमा के पिता ने कहा।अनुज ने रमा की ओर देखकर आँखें ऊचकाई। रमा शरमा गई। वो खुशी से