अनकहा अहसास - अध्याय - 4

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अध्याय - 4अच्छा ठीक है अब कब मिलोगी। शादी के मंडप में और क्या ? रमा बोली।अरे यार ऐसी सजा मत दो कम से कम फोन पर तो बात कर सकती हो।हाँ बिलकुल। पर जब तक सब कुछ तय नहीं हो जाता सिर्फ मैं फोन करूँगी।दिन में एक बार ?नहीं एक एक दिन के गैप में वरना तुम अपने काम पर ध्यान नहीं दोगे।चलो ठीक है मैं जल्दी ही अपने पापा से बात करूँगा।दोनों वहाँ से निकल गए। अब अनुज का एक ही लक्ष्य था। अपने पापा को बिजनेस में हाथ बटाना और उनके बिजनेस को बढ़ाना। वो काफी तेजी से