नियति... - 3

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मेरे लिए ये कोई नई बात नहीं थी।सो मैंने इसे दिल पर नहीं लिया और जाने दिया।और अपनी किताबों के साथ समय व्यतीत करने लगी। कुछ ही दिनों में कोलेज का पहला दिन था और मुझे कोलेज जाना था।तैयार होकर मै कॉलेज के लिए निकल गई।सलवार सूट पहने हुए मैंने कोलेज में एंट्री ली।और चारो और एक नजर दौड़ा दी।कोलेज के कुछ छात्र मेरी वेशभूषा देख देख कर दबे होठो से हंसी हंस रहे थे।वहीं कुछ अपना मुंह फेर हंस रहे थे।खैर मै इग्नोर कर आगे बढ़ने लगी।जैसा कि पहले हर नए छात्र छात्राओं के साथ होता था कोलेज के