आज की द्रौपदी और सुभद्रा - 1

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स्त्री मन बहुत विचित्र है जिससे स्नेह करता है उसके लिए अपना सर्वस्व निछावर कर देता है।जो भी उसका अपना है,चाहे वो प्रेम हो,पति ,बच्चा या उसका घर हो।स्त्री हर चीज अपने परम स्नेही से बाँट लेती है।हर बार ये सत्य नहीं होता कि स्त्री अपना पति किसी दूसरी स्त्री के साथ नहीं बांट सकती।पर उससे ही ,जिससे उसे सबसे ज्यादा लगाव हो,जिससे वो खुद से ज्यादा भरोसा करती हो ,स्नेह करती हो। शुभी और अंशिका भी ऎसी ही दो सखियां हैं जो दो शरीर एक आत्मा हैं। उनको तो भगवान ने भी ऐसी हस्त रेखाएं दीं जो एक दूसरे से