तुम्हारे दिल में मैं हूं? - 10

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अध्याय 10 "अरे रितिका।" हड़बड़ाते हुए दौड़ी आई द्रौपदी। द्रौपदी और रितिका एक ही गली में रहती थी। रितिका और द्रौपदी में बहुत समानताएं थी। तराजू में तौले तो दोनों बिल्कुल सामान होंगी। रितिका को एक धारधार नुकीली चाकू माने तो द्रौपदी बंदूक |‌ इन दोनों को दूसरों के जीवन को बर्बाद करना है तो लड्डू खाए जैसे स्वाद आता था। 'द्रौपदी आओ' दोपहर का समय। इस समय कोई काम नहीं होता । चटाई को बिछाकर आराम से लेटी हुई थी। मूंगफली को खाकर बाकी वहां रखा हुआ था। "मूंगफली खाओ द्रोपदी..." बड़े प्रेम से उसे मनुहार करने लगी। "तुम्हारे