हमेशा-हमेशा - 1

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दूर पहाड़ों के पीछे डूबता सूरज, आसमान में फैली लाली, ख़ूबसूरत वादियों को धीमे-धीमे से आगोश में लेता शाम का धुंधलका और बदन को सिहराने वाली ठंडी हवा; ये सारे हसीन मंज़र उसके नज़रिए से ग़मगीन से थे। अपने अंदर के दर्द को आज तक अपने सीने में समेटे रखने में उसे कभी इतनी तकलीफ़ नहीं हुई जितनी आज अपनी खुशी के लिए एक फ़ैसला लेने में हो रही थी। शमा ने अपनी कलाई घड़ी पर नज़र डाली, 6:45 बज रहे थे। अँधेरा होने को था। बालकनी का दरवाज़ा बंद करके वो सीधी किचन में गई और अपने लिए गर्म