विश्वासघात--भाग(७)

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शाम का वक्त था..... डाक्टर महेश्वरी अपने दवाखाने में कुछ उदास सी बैठी थी,तभी विजयेन्द्र उसके पास पहुँचा और महेश्वरी को उदास देखकर पूछ बैठा..... क्या हुआ डाक्टरनी साहिबा! कुछ उदास सी मालूम होतीं हैं? क्या मैं आपकी उदासी का कारण जान सकता हूँ, विजयेन्द्र ने पूछा।। कुछ नहीं मास्टर साहब बहुत दिन हो गए हैं ,बाबा का कोई ख़त नहीं आया,जो ख़त मैने उन्हें भेजा था उसका जवाब भी उन्होंने नहीं दिया,मन घबरा रहा है कि कहीं उनकी तबियत खराब ना हो,महेश्वरी बोली।। तो कल डाकखाने चलकर टेलीफोन करके पूछ लीजिए कि क्या बात है? विजयेन्द्र बोला।।