प्रेम की भावना (भाग-6)

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अगले दिन सुबह आंख खुली तो कुछ बेहोंशी सी छा रही थी। मैंने बेड के बगल में देखा, मुझे लगा भावना है। लेकिन जब ध्यान से देखा तो होंश ही उड़ गए। भावना नही सुधा थी। मैं रूम के बाहर भागा। बाहर आकर देखा भावना किचन में थी और मम्मी मंदिर में ..! मैं किचन में भावना की तरफ भागा।उसकी पीठ थी मेरी तरफ। मैंने वैसे ही जाकर उसे पीछे से अपनी बाहों में जकड़ लिया। भावना जस की तस खड़ी रही। उसने कोई भी प्रतिक्रिया नही दी। मैंने उसे अपनी ओर घुमाया। और पूछा,"क्यों किया तुमने ऐसा..??" लेकिन भावना