चन्द्र-प्रभा--भाग(१८)

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उधर नागदेवता,स्वर्णमहल पहुँच चुके थे,उन्होंने देखा कि स्वर्णमहल का द्वार बहुत ही भव्य है और ना जाने कितने ही द्वारपाल वहाँ पहरा दे रहें हैं, वो तो सर्प रूप में थे,इसलिए उन्होंने द्वार के भीतर सरलता से प्रवेश पा लिया,उन्होंने स्वर्णमहल में नागरानी को खोजना प्रारम्भ किया,परन्तु सभी स्थानों पर पहरा था,तभी उन्होंने किसी को वार्तालाप करते हुए सुना और वो उस ओर गए, उन्होंने देखा कि अम्बालिका किसी दासी से वार्तालाप करते हुए कह रही थी कि ___ मैने तुमसे कहा था ना कि नागरानी को केवल पिटारी में ही बंधक बनाकर रखना है, अम्बालिका बोली।। देवी!