आग और गीत - 1

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लेखक : इब्ने सफ़ी अनुवादक : प्रेम प्रकाश 1 तर्रवान की पहाड़ियां कई देशों की सीमाओं का निर्धारण करती थी । यह मख्लाकार पहाड़ियां अपने अंचल में एक ऐसी सुंदर घाटी रखती थीं कि उसका नाम ही कुसुमित घाटी रख दिया गया था । इस सुंदर और विकसित घाटी में किसी परदेशी का दाखिल होना असंभव ही था क्योंकि हवाई जहाज से इस इलाके में किसी को उतारना संभव नहीं था और घाटी तक पहुंचने के जो मार्ग थे वह स्थानीय लोगों के अतिरिक्त दूसरे किसी को मालूम नहीं थे – और वह मार्ग थे दर्रे – ऐसे संकुचित दर्रे