आग और गीत - 2

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(2) लगभग पंद्रह मिनिट बाद नायक उस मैदान में आ गया जिसको ऊपर से देखा था और फिर जब उसने सर उठा कर ऊपर की ओर देखा तो कांप उठा । उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वह इतनी ऊंचाई से यहां पहुंचा है । “तुम्हारा घर कहां है ?” – नायक ने निशाता से पूछा । “यह सब मेरा ही घर तो है ।” “रात में सोती कहां हो ?” “किसी भी पेड़ के नीचे ।” “ठंड नहीं मालूम होती ?” “यह नाला देख रहे हो जो एक ओर की पहाड़ियों से निकल कर दूसरी ओर की