चिन्तामणि की आंखें

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गोल कोटर में धंसी लाल-पीले चकत्तों वाली उसकी आंखें आश्चर्य थी. वे आंखें दस मील, बीस मील, पचास मील और उससे भी आगे देख सकती थी. हवा में पानी में, आग और अंधेरे हर जगह उसकी आंखे सार्थक थी.मनुष्य होते हुए भी वह गिद्ध, चमगादढ़ और मछलियों से बढ़कर था. सचमुच चिन्तामणि हम बच्चों की दुनिया का सबसे अजीब आदमी था. महत्त्वपूर्ण तो था ही. एक दिन प्रयाग ने कक्षा में अचानक ही कहा था- अरे, वो टीले पार मोड़ में वो आदमी है ना, उसे दिन में भी तारे दिखाई देते हैं. सिर्फ़ तारे ही नहीं वह आकाश गंगा