प्रेम निबंध - भाग 5

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उनके अपने ही परिवार की संख्या अधिक थी। कोई यहां तो कोई वहा रहता था। अब वो तो पहली बार आई थी। तो घर के लोग कभी इनके यहां तो कभी उनके यहाँ पर उनको ले जाते थे। और मुझे डर लगता था कि मैं स्कूल से घर जाऊं और वो कही दूसरी जगह न हो। इस मरे कभी स्कूल में मन ही नही लगता था। अब तो सब वही है। ऐसा लगता था। हृदय बहुत कमाल की चीज है। जिसमे आपके और हमारे कई राज छुपे है। जिनको बयान करना इतना आसान नहीं है। इसलिए उनको छुपाते फिरते है।