संस्कृत वांग्मय में जीवन दर्शन - 2

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संस्कारसंस्कार मानव के नव निर्माण की आध्यात्मिक योजना है । चरक ऋषि ने कहां है संस्कारों हि गुणाअंतर आधान, उच्यते अर्थात संस्कार पहले से विद्यमान दुर्गुणों को हटाकर उनके स्थान पर सद्गुणों का आधान कर देने का नाम है । वेद स्मृति आदि ग्रंथों में 42 संस्कारों का उल्लेख है जिनमें 16 प्रमुख हैं गर्भाधान पुस वन सीमंतोनयन जात कर्म नामकरण निष्क्रमण अन्नप्राशन चूड़ा कर्म कर्ण छेदन उपनयन वेद आरंभ समावर्तन विवाह वानप्रस्थ सन्यास और अंत्येष्टि। भारतीय दर्शन में गर्भाधान को एक संस्कार का नाम देना निश्चित ही उसके लक्ष्य की महानता को शुद्ध करता है इसे पति पत्नी द्वारा