मेरी नजर से देखो - भाग 4 - समानता के अवसर या मौके का फायदा?

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टिंग टोंग... लगता है मजबूरदास आ गया। मैने मेरी पत्नी को दरवाजे खोलने को रूक्का दिया। मेरी पत्नी ने अपने भाई की आवभगत की, फिर मैने पुछा ओर आजकल क्या चल रहा साले साहब । कहने लगे क्या बताए जीजाजी आपसे क्या कुछ छुपा है, पिछले साल दोनो बेटियों की शादी का खर्चा ज्यो त्यों निकाला था। अब इनकी माँ की क्या ही कहे... । एक लम्बी बातचीत के बाद मजबूरदास चला गया। और मेरी कलम का दौर अब यहाँ से आगे शुरू हुआ। सामाजिक मुद्दो की असहजता के बारे में, जिसकी वजह कभी कभी हम ही होते है।। ---------------- ----------------