मोतीबाई--(एक तवायफ़ माँ की कहानी)--(अन्तिम भाग)

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अब दो साल महुआ को बेटे का मुँह देखे बिना काटने थे लेकिन तब भी उसने तसल्ली रख ली,बेटियाँ हर एक दो महीने में माँ से मिलने आतीं रहतीं,फिर पता चला कि रिमझिम उम्मीद से है इसलिए उसकी देखभाल के लिए महुआ ने उसे अपने पास बुला लिया चूँकि रिमझिम का पति अनाथ था इसलिए उसकी देखभाल के लिए वहाँ कोई महिला नहीं थी।। कुछ महीनों के इन्तज़ार के बाद रिमझिम ने एक नन्ही मुन्नी प्यारी सी बच्ची को जन्म दिया,उस बच्ची को देखकर महुआ की खुशी का कोई ठिकाना ना रहा,वो नानी बन चुकी थी ये उसे अब