मुझे तुम याद आएं--भाग(८)

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अब कजरी बिल्कुल अकेली हो चुकी थी,इसलिए उसे कुछ दिनों के लिए सिमकी काकी ने अपने घर में रख लिया,सिमकी काकी को बेचारी कजरी पर बहुत दया आती,एक तो अनाथ ऊपर से देख नहीं सकती,अब जाने क्या होगा इसका?वो यही सोचा करती।। कजरी के बापू की मौत की ख़बर सुनकर कल्याणी भी उससे कभी कभी मिलने आ जाती और उसे सान्त्वना देती,लेकिन जब इन्सान मन दुखी होता है तो किसी की भी हमदर्दी उस के दुख को दूर नहीं कर सकती,जिसके ऊपर बीतती है केवल वही जानता है,वैसे इंसान को खुद ही अपने दुखो से उबरना होता है और