रुपये, पद और बलि - 7

  • 6k
  • 2.8k

अध्याय 7 कौशल राम की पत्नी नीलावती अधीर होकर रिसीवर को देखा। तो उसका चेहरा पसीने से भीग गया। "कौन...... बोल रहे हो ?" नीलावती की आवाज जलतरंग जैसे बजने लगी। दूसरी तरफ से हंसी की आवाज आई “मैं कोई भी हूं तो उससे आपको क्या है अम्मा ? ठीक.... तुम्हारे पति के ना चाहने वाला हूँ सोच लो।" नीलावती आघात से ठिठक सी गई। तो फिर आवाज आई "तुम्हें तुम्हारे गर्दन में यदि मंगलसूत्र रखना चाहती हो तो सुनो!" "तुम ... तुम... क्या बोलना चाह रहे हो !" "तुम्हारे पति को तुम्हें समझाना है..." "क्या समझाना ?" "हां !