मृत्यु मूर्ति - 10

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पूरे कमरे में पिन ड्रॉप साइलेंस है। घड़ी के टिक - टिक की आवाज सुनाई दे रहा है। कमरे में केवल कस्तूरी की महक के अलावा मानो सबकुछ ठहर गया है। सामने ही कृष्ण प्रसाद भट्टराई जी मूर्ति को हाथ में पकड़कर लगभग 5 मिनट से ज्यादा ध्यान मग्न हैं। लगभग 10 मिनट के बाद कृष्ण प्रसाद जी ने आँख खोला। उसके बाद हम दोनों की ओर देखकर बोले, " मूर्ति को हाथ में पकड़ते ही मैं पहचान गया था। वर्तमान में मैं अपने एक विशेष शक्ति का प्रयोग करके इसके अतीत के बारे में थोड़ा बहुत पता लगाने में