वेश्या का भाई - भाग(८)

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ताँगा रूका, दोनों ताँगेँ से उतरीं फिर केशर ने ताँगेवाले को पैसे दिए और दोनों ने खरीदारी वाला सामान उतार कर दरवाजे के भीतर चलीं गईं,तभी गुलनार ने आकर पूछा।। आप दोनों आ गईं,बहुत वक्त लगा दिया,ऐसी क्या खरीदारी हो रही थी? जी!ख़ाला! ये रहा सामान आप खुद ही देख लिजिए,मेरे सिर में दर्द है,मैं आराम करने जा रही हूँ,केशर बोली।। अरे! अचानक कैसे सिरदर्द होने? बाज़ार जाते वक्त तो आप भली-चंगीं थीं,गुलनार बोली।। वो क्या है ना ख़ाला! धूप कड़क थी ना! इसलिए सिर में दर्द हो रहा है केशर के,शकीला बचाव करते हुए बोली।। तो ठीक