पेशी नम्बर 68 - 1

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कानून के हाथों की लंबाई और सत्य की जीत के चर्चे अक्सर सुनने को मिलते हैं।ऐसा लोगों का विश्वास न्याय के देवता माननीय जज साहब और न्यायिक मंदिर कोर्ट के विश्वास के कारण ही होता है। मगर जनता के इस विश्वास को भ्रष्टाचारी बादलों का ग्रहण ऐसा लगा,कि दूर होने की कोई संभावना ही दिखाई नहीं देती है।कोई भी सरकारी विभाग अछूता नहीं है।लेकिन अमावस्या की रात्रि में उल्का पिंड की रोशनी का एक अलग ही नजारा होता है। इसी तरह इस भ्रष्टाचारी जमाने में उल्कापिंड रूपी रोशनी चमक रही थी,तो केवल एडवोकेट हर्षवर्धन बाबू की।क्योंकि हर्षवर्धन बाबू अपने नाम