इतिहास का वह सबसे महान विदूषक - 13

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13 जब तेनालीराम को मिला देशनिकाला राजा कृष्णदेव राय तेनालीराम को जी-जान से चाहते थे। पर कई बार बड़ी अटपटी स्थितियाँ हो जाती थीं। असल में राजा कृष्णदेव राय के दरबार में चापलूसी करने वाले और चुगलखोर दरबारियों की भी कोई कमी नहीं थी। उन्हें मंत्री और राजपुरोहित ताताचार्य की भी शह मिल जाती। राजा ऐसे चुगलखोर दरबारियों को पसंद नहीं करते थे, पर कभी-कभी उनके प्रभाव में भी आ जाते थे। एक बार ऐसा ही कुछ अजीब किस्सा हुआ, जिसमें तेनालीराम को बिना बात राजा का कोपभाजन बनना पड़ा। हुआ यह कि तेनालीराम के गाँव में एक गरीब युवक