दर्द ए इश्क - 18

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विक्रम अभी भी सूझी की कहीं हुई बातों के बारे में सोच रहा था। मानों जैसे वह बातें उसे काफी हद तक सहीं भी लग रही थी!। जिससे ना वह जुटला सकता था और ना ही स्वीकार कर पा रहा था। लेकिन वह जानता था जो भी सवाल सूझी ने उठाए है। वह फिजूल भी नहीं है। तभी सूझी उसे कहती है।सूझी: हाहाहाहाहा.... क्या हुआ विकी... देखा कहां था ना मैने!? तुम कभी दुनिया को फिर से नॉर्मल इंसान की तरह देख नहीं पाओगे। यह तो सिर्फ मैंने बाते कहीं है! अगर सच्चाई आंखो के सामने देखोगे तो दिल दहल