रॉबर्ट गिल की पारो - 18

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भाग 18 निज़ाम हैदराबाद ने बहुत बड़ी-बड़ी तांबे की चमचमाती थालियां भेजी थीं। यह सूर्य की रोशनी से गुफा के अंदर उजाला फेंकने के लिए थीं। अब वह 17 नं. की केव की चित्रकारी ठीक से देख पाएगा। अंधेरे में भले ही दिन का तेज़ उजास हो गुफा के अंदर दिखता ही नहीं था। निश्चय ही इसी प्रकार गुफाओं में प्रकाश फेंककर अंदर चित्रकारी की गई होगी और मूर्तियां तराशी गई होंगी। आज सूरज का प्रकाश तांबे की चमचमाती थालियों से भीतर प्रवेश कर रहा था। उसने एक-दो केव्ज़ की और भी चित्रकारी की थी। जब यह रखी जाएंगी तो