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रॉबर्ट गिल की पारो - Novels
by Pramila Verma
in
Hindi Love Stories
दिसंबर 1849 में रॉबर्ट गिल को डायरेक्टर आॅफ कोर्ट की मुहर लगा लिफाफा मिला। इतने वर्षों बाद उसे मेजर के पद पर पदोन्नत किया गया था। वह 1824 में कैडेट के रूप में लंदन में सेना में भर्ती हुआ था। उसके बाद 44 वीं मद्रास नेटिव इन्फेंट्री में उसकी पोस्टिंग हुई थी। वह ऐच्छिक नियुक्ति पर इंडिया आ गया था। सितंबर 1826 में वह लेफ्टिनेंट बना।.
फिर 6 मई 1840 को कैप्टन। अब वह मेजर के पद पर था और साथ ही विशेष अनुरोध पर रॉबर्ट को अजंता में बौद्ध गुफाओं का एक चित्रमय रिकॉर्ड बनाने के लिए नियुक्त किया जाता है। उसे इन गुफाओं के भित्ति चित्र, फोटोग्राफी, पेंटिंग, रेखा चित्र, गुफाओं की मैपिंग और उनका रिकॉर्ड रखने एवं कैटलॉगिंग करने और संबंधित गुफाओं के छायाचित्र भी लंदन भेजने के लिए आदेश दिया गया। इसके लिए रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ने उसे कैमरा प्रदान किया। गुफाओं के रखरखाव की जिम्मेदारी भी उसी की थी। हैदराबाद के निज़ाम द्वारा अजंता ग्राम स्थित बारादरी में उसके रहने का प्रबंध किया गया। इस काम के लिए उसे 5 वर्षों का समय दिया जाता है। सेना के मेजर पद के वेतन के साथ उसे 200 रुपये वार्षिक अतिरिक्त राशि भी दी जाएगी। इसके अलावा चार बैटमैन भी दिए जाएंगे, जिनके वेतन की जिम्मेदारी हैदराबाद के निज़ाम की होगी।
1 दिसंबर 1849 में रॉबर्ट गिल को डायरेक्टर आॅफ कोर्ट की मुहर लगा लिफाफा मिला। इतने वर्षों बाद उसे मेजर के पद पर पदोन्नत किया गया था। वह 1824 में कैडेट के रूप में लंदन में सेना में भर्ती ...Read Moreथा। उसके बाद 44 वीं मद्रास नेटिव इन्फेंट्री में उसकी पोस्टिंग हुई थी। वह ऐच्छिक नियुक्ति पर इंडिया आ गया था। सितंबर 1826 में वह लेफ्टिनेंट बना।. फिर 6 मई 1840 को कैप्टन। अब वह मेजर के पद पर था और साथ ही विशेष अनुरोध पर रॉबर्ट को अजंता में बौद्ध गुफाओं का एक चित्रमय रिकॉर्ड बनाने के लिए नियुक्त
भाग 2 अपने शौक को एक नया अंजाम देने के लिए रॉबर्ट ने एक लम्बी छुट्टी ले ली। उसने पेन्टिंग करने का सामान रखा और लंदन से बाहर कहीं प्रकृति की गोद में कुछ दिन बिताने का मन बनाया। ...Read Moreकिताबें भी साथ रख लीं और सिगार के लिए तंबाखू और पेपर भी साथ लिया। लेकिन इसी बीच रिकरबाय घराने से संदेश आया कि फ्लावरड्यू के पिता उससे मिलना चाहते हैं, क्या वह आ सकेंगा? उसे लगा कि यह प्रस्ताव उसके तय कार्यक्रम में एक व्यवधान पैदा कर रहा है। लेकिन फादर रॉडरिक ने भी यह सूचना उसे दी और
भाग 3 रॉबर्ट उस पहाड़ी के सामने खड़ा था जहाँ टैरेन्स का बंगला था। हालांकि काफी समय हो चुका था, शाम ढले। लेकिन, चारों ओर उजास फैला था। उसने अपलक पहाड़ी पर बने उस बंगले को देखा जहाँ जीवन ...Read Moreमृत्यु दोनों आमने सामने थे। हाँ! उसने ऐसा ही महसूसा था उस रात जब वह टैरेन्स के साथ इस बंगले पर था। लेकिन ऊपर चढ़ते हुए उसे महसूस हुआ कि बंगले में कोई शोर है, जैसे कुछ लोग आपस में बहस कर रहे हों। करीब 20 मिनिट चढ़ने के बाद वह बंगले के बरामदे के सामने खड़ा था। गेट खुला
भाग 4 ‘‘रॉबर्ट! मानो मैं वहाँ मौजूद था। अक्षरश: सुन और देख रहा था। अगाथा की माँ जो मेरी हम उम्र सहेली थीं, वे मुझे बताती थीं। उनकी आँखों में दर्द का सागर था और अपने घर की आर्थिक ...Read Moreअगाथा कमरे में चुप बैठी थी। दूध का गिलास सामने था। तभी जी़निया और जॉन पीटर कमरे में दाखिल हुए। उसका एक हाथ जी़निया की कमर में था। स्कर्ट और ब्लाउज के बीच की खुली नंगी कमर पर। देखकर सिहर उठी अगाथा और किसी आगत के भय से कांप उठी। जी़निया न जाने किस बात पर खुलकर हँसे जा रही
भाग 5 जॉन एफ पीटर के ननिहाल से माँ के भाई का बेटा अर्थात जॉन का कजिन उस दिन अचानक आ गया। खाना बन चुका था और जी़निया और जॉन एफ दोनों माँ के पास चर्च चले गए थे। ...Read Moreवैसी ही उनींदी काऊच पर लेटी थी। दरवाजे की खट - खट सुनकर उठी तो सामने किसी अजनबी पुरुष को देखकर वह अपनी ड्रेस ठीक करने लगी। ‘‘तुम अगाथा?’’ अजनबी ने पूछा। ‘‘हाँ! और आप?’’ वह हँसने लगा। ‘‘मैं मैरी जॉन के भाई का बेटा...किम हूँ। किम कूरियन।’’ ‘‘ओह! अंदर आईए।’’ माँ चर्च गईं हैं और वे दोनों भी शायद