नफरत का चाबुक प्रेम की पोशाक - 7

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बड़ी बहनों के बारे में बताने के बाद काकी अपने बारे में बताते हुए कहती हैं - " मैं अब्बू के साथ दुकान पर बैठती थी इसलिए कभी-कभी पहाड़ी वाले मंदिर पर फूल पहुँचाने जाती थी। वहाँ भजन और आरती सुनती तो मैं भी गुनगुनाने लगती थी वहाँ सभी मेरी आवाज़ की तारीफ करते थे । वापसी में रास्ते में आते हुए रेडियो पर बजने वाले गीत सुनती और उनमें डूब कर खुद गाने लगती थी। अब्बू मेरी आवाज की बहुत तारीफ करते और अलग-अलग गीत सुनाने की फरमाइश करते। अब्बू कहते मैं मीरा बाई के भजन बहुत ही अच्छे