इस जन्म के उस पार - 4

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(कहानी को समझने के लिए आगे के भाग जरूर पढ़े )वही वीर वहा आ गया जिसे देख यशवी ने अपना सर पिट लिया ‍️, "ये कबाब मे हड्डी क्यों बन रहा है.!!"कुछ करना पड़ेगा ये सोच वो वीर की तरफ बढ़ के उससे टकरा गई.!!वीर ने उसे गिरने से पहले संभाल लिया. वो यस्वी को देख ही रहा था की यस्वी गुस्से से ,"अगर मुझे ताड़ लिए हो तो छोड़ो..!!"वीर :- हें क्या ताड़.??यशवी उसके बाजु पर मर के :- छोड़ो भी चिलगोजे.!!वीर उसे घूर के :- सच मे छोड़ दू.?यस्वी :- हावीर उसे छोड़ देता है वो गिर पडती