व्यथा गुलामी की

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बात 1920 और 1930 के दशक की है। यह वह समय था जब भारत गुलामी की चरम सीमा पर था। गरीबी भी अपने चरम सीमा पर थी। अधिकांश किसान लगान देने की स्थिति में नहीं थे।परंतु अंग्रेजी शासक वर्ग को इसकी कोई चिंता नहीं थी। ओपनबेशक शासन को भारतीय गरीबी से कोई मतलब नहीं था। इंग्लैंड के प्रधामंत्री श्री डोनल्ड भारतीयों को घ्रणा की दृष्टि से देखे ते धे। वे भारत के कट्टर विरोधी धे और उनके हृदय में भारतीयों के प्रति कोई दया भाव नहीं था।बहुदा सूखा पड़ जाता था और किसान लगान देने में असमर्थ हो जाता था