सोते वक्त

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सोते वक्त   कमरे में दो चारपाईयाँ बिछी हैं। बीच में एक दहकती हुई अंगीठी कमरे को गर्म कर रही है। एक चारपाई पर बूढ़ा और दूसरी पर बुढिया रजाई ओढ़ कर बैठे हुए हैं। वे यदाकदा हाथ अंगीठी की तरफ बढ़ा देते हैं। दोनों मौन बैठे हैं जैसे राम नाम का जाप कर रहे हों! “ठण्ड ज्यादा ही पड़ रही है।” बूढी बोली, “चाय बना दूँ?” “नहीं!” बूढ़ा अपना टोपा नीचे खींचते हुए बोला, “ऐसी कोई खास सर्दी तो नहीं!” बूढी खाँसने लगती है। खाँसते-खाँसते बोली, ”दवा ले ली?” बूढे ने प्रतिप्रश्न किया, “तुम ने ले ली?” “मेरा क्या