कुरुक्षेत्र की पहली सुबह - 35

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35.तुमसे है ये सब यह मथुरा नरेश कंस और हस्तिनापुर के युवराज दुर्योधन दोनों का दुर्भाग्य था कि वे भगवान श्री कृष्ण को साधारण मनुष्य ही समझते रहे। श्री कृष्ण की बाल लीलाओं से लेकर गोवर्धन पर्वत उठाने तक की गाथाएं जनमानस में प्रचलित हो चुकी थीं, फिर भी दुर्योधन श्री कृष्ण को साधारण मनुष्य और अधिक से अधिक मायावी ही समझता रहा। कंस भी यह स्वीकार करने को तैयार नहीं था कि उसकी मृत्यु श्रीकृष्ण के रूप में जन्म ले चुकी है। अर्जुन सोचने लग गए, यही मूर्ख मनुष्यों का हठवाद है जो साक्षात ईश्वर के सम्मुख होने पर