मेरे नाना

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सच कहूं तो ये कहानी श्रदांजली है मेरे नाना को,और ये कहानी नहीं हो कर कुछ यादें है मेरे जीवन की, जो में सहेज कर यहां कहानी के रूप में आपके लिए प्रस्तुत कर रही हूं l सुबह मैं नहा कर मंदिर में दिया जला रही थी की तभी मोबाइल की घंटी बाजी l पाता नहीं कौन है? मैने खुद से ही सवाल किया और फिर सोचा की पूजा करके ही देखूंगी की किसका फोन है। मन्दिर से फ्री होकर जब मैने फोन देखा तो बड़े भाई की कॉल आ राखी थी। कॉल बैक करने पर पता चला की मेरे