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मेरे नाना

सच कहूं तो ये कहानी श्रदांजली है मेरे नाना को,और ये कहानी नहीं हो कर कुछ यादें है मेरे जीवन की, जो में सहेज कर यहां कहानी के रूप में आपके लिए प्रस्तुत कर रही हूं l
सुबह मैं नहा कर मंदिर में दिया जला रही थी की तभी मोबाइल की घंटी बाजी l पाता नहीं कौन है? मैने खुद से ही सवाल किया और फिर सोचा की पूजा करके ही देखूंगी की किसका फोन है। मन्दिर से फ्री होकर जब मैने फोन देखा तो बड़े भाई की कॉल आ राखी थी। कॉल बैक करने पर पता चला की मेरे नाना का स्वर्गवास हो गया है। सुन कर कानों पर यकीन नहीं हुआ।अभी पिछले सप्ताह ही तो लौटी हूं उनसे मिल कर।बड़े मामा की बेटी की शादी में सब मिले थे खूब बातें भी हुई । नाना भी बड़े खुश थे अपनी पोती की शादी में।बीमार भी नहीं थे,पूछने पर पता चला की हार्टअटैक आया था सुबह 6बजे ।

इतना सुनने के बाद किसी काम में मन ही नहीं लगा।बस में बैठ गई सोफे पर और आंखो के आगे एक फिल्म सी चलने लगी जिसके हीरो मेरे नाना थे। मन खुद ब ख़ुद अतीत में चला गया।जब भी मैं कॉलेज के लिए लेट हो रही होती नाना की गाड़ी दरवाजे पर होती। जेब में पैसे नहीं है तो नाना मेरा atm card होते थे।उनकी छोटी छोटी बातों में जीवन की बड़ी सीख छिपी होती थी।एक बार की बात है वो अपने भाई से किसी बात पर बहस कर रहे थे या फिर यूं कह सकते हैं की आर्गुमेंट करना उनका शौक था। में कॉलेज जाने से पहले।अपनी नानी के पास आई थी ।मेरी मां ने किसी काम से भेजा था।ननिहाल पास में होने के कारण मैं डाकिया बनी रहती थी मां और नानी के बीच में।हां तो नाना की अपने भाई के साथ बहस जारी थी,oe देखते ही देखते वो दोनो बहुत ज्यादा ऊंची आवाज़ में बात करने लगे , मैं बहुत डर गई मुझे लगा आज तो लड़ाई हो कर रहेगी।बस में ये सोचते वहा से चली गई क्योंकि मुझे।कॉलेज के लिए लेट हो रहा था,शाम को जब मैं वापस आई तो देखा मेरे नाना अपने उन्हीं भाई के साथ बैठ कर चाय पी रहे हैं। मैं बड़ी हैरान हुई मुझसे ना रहा गया मैने पूछा नाना ये क्या सुबह तो आप दोनों लड़ रहे थे और अभी साथ बैठ कर चाय पी रहे हो,ये सब क्या है?तो नाना ने बड़े ही आराम से जवाब दिया किया "ले .....लड़ाई हमारी थोड़े ही थी ,लड़ाई तो बात की थी।बात खतम,लड़ाई खतम,हम दोनो तो कल भी साथ थे और आज भी साथ हैं।"और इतना कहते हुए वो हंसने लगे।वैसे कितनी सच बात कही थी उन्होंने। ऐसे ना जाने कितने ही किस्से हैं,अभी अंतिम बारी मुझे मुझेजब उनसे मिलने से पहले मेरी तबियत या यूं कहें कि मेरी मानसिक तबियत कुछ ठीक नहीं थी ।हर एक व्यक्ति के जीवन में कुछ ऐसे लोग और इसी स्थितियां होती हैं जो की उसे परेशान करती हैं।कुछ लोग तो बहादुरी के साथ उनसे लड़ लेते हैं और कुछ मेरे जैसे होते हैं जो सोच सोच कर खुद को ही बीमार कर लेते हैं l मुझे देखते ही पूछने लगे की क्या हुआ ,ये तेरी आंखे इतनी बुझी बुझी क्यों दिख रही है?उनका इतना पूछते ही मैने उन्हें सब बताना शुरू कर दिया।वो मेरी सब बाते ध्यान से सुनते रहे और फिर बोले की देख बेटा इस दुनिया में हम अपने लिए आए हैं,ये जीवन हमारा है किसीऔर का नहीं है।तो फिर हमें किसी व्यक्ति या किसी परिस्थिति को ये हक कभी नहीं देना है की वो हमारे इतने सुन्दर जीवन को खराब कर दे।कोई भी बात तुम्हारे जीवन से बड़ी नहीं हो सकती इसलिए किसी को प्यार करने से पहले स्वयं की प्यार करो,किसी की भी इज्जत करने से पहले खुद की इज्ज़त करो।ये जीवन तुम्हारा है इसलिए तुम्हारा पहला फर्ज़ इस जीवन के प्रति ये की तुम इसे खुशहाल बनाओ।
आज उन्हीं के कारण मैं अपने जीवन में पुनः लौट पाई हूं।आज जब उनकी मृत्यु का समाचार मिला तो,दिल में यही ख्याल आया कि वो तो जाते जाते भी मुझे जीना सिखा गए।लव यू नाना....
मेरी ये कहानी कोई कहानी नहीं बल्कि आपको श्रदांजलि हैl