अन्धायुग और नारी - भाग(४६)

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हुस्ना की भाभीजान हमारे पास आकर हमसे बोलीं.... "बेग़म! ये अच्छी बात नहीं है,हम गरीब लोगों के पास सिवाय इज्जत के कुछ और नहीं होता" "हम कुछ समझे नहीं नूरी! कि तुम क्या कहना चाहती हो" हमने उससे पूछा.... "हुस्ना के साथ आपका जो रिश्ता है,उसे लेकर जमाना ना जाने कैसीं कैसीं बातें कर रहा है,हुस्ना ने तो हमें कहीं भी मुँह दिखाने के काबिल नहीं रखा",नूरी बोली... "ऐसा तो कोई गुनाह नहीं किया हुस्ना ने,जो तुम इतना बढ़ चढ़कर बता रही हो,वो तो एकदम पाक साफ है, उसने ऐसी कोई गलती नहीं की जिससे जमाने के सामने तुम्हारा सिर