अन्धायुग और नारी - भाग(५२)

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और ऐसा कहकर वो कोठरी के भीतर मेरे लिए कपड़े लेने चली गई,फिर वो एक जोड़ी कुर्ता पायजामा और साफ तौलिया लेकर वापस आई और उन कपड़ो को वो मेरे हाथों में कपड़े थमाते हुए बोली.... "ये पहन लो,मेरे ख्याल से ये तुम्हें बिलकुल सही आऐगें", "वैसे ये कपड़े हैं किसके",मैंने पूछा.... "तुम्हें इस बात से क्या लेना देना है कि ये कपड़े किसके है,बस तुम इन्हें नहाकर पहन लेना",वो बोली.... "जी! ठीक है,जैसा तुम कहो", और ऐसा कहकर मैं वो कपड़े और दातून लेकर आँगन की ओर स्नान करने के लिए जाने लगा तो वो मुझसे बोली.... "मैं तुमसे