राग चिरंतन भोर वितान

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शाम तीन बज कर बीस मिनट हो ही रहे है की गली में खडंजे वाले रास्ते पर साइकिल की आहट होती है और जानकी समझ जाती है की पिताजी आ पहुंचे हैं. तभी साइकिल की घंटी बजती है. यह संकेत है कि बेटा भानुप्रकाश अगर घर में होगा तो पुरुषोत्तम अग्निहोत्री के फाटक तक पहुँचने के पहले ही बाहर आ कर खड़ा हो जाएगा कि वह पिता से साइकिल ले कर उसे भीतर ले आए. अगर वह बाहर नहीं दिखा तो पुरुषोत्तम खुद फाटक खोल कर साइकिल बरामदे तक लाएंगे और पूछे बिना भानुप्रकाश की मां बताएगी कि भानु कहाँ गया है.