रात का सूरजमुखी

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रात का सूरजमुखी मूल तमिल लेखक राजेश कुमार हिन्दी अनुवाद एस. भाग्यम शर्मा संपादिका रितु वर्मा तमिल लेखक राजेश कुमार इस कहानी के मूल तमिल लेखक राजेश कुमार है। आपने 50 वर्षों में डेढ़ हजार उपन्यास लिखे और 2000 कहानियां लिखी। आपकी उपन्यास और कहानियों के पाठकों की संख्या बहुत ज्यादा है। अभी आपका नाम गिनीज बुक के लिए गया हुआ है। चाहे आपके उपन्यासों चाहे कहानियां दोनों ही एक बार शुरू कर दो खत्म किए बिना रखने की इच्छा नहीं होती उसमें एक उत्सुकता बनी रहती है। इसीलिए मैंने भी इनकी कहानियों का और उपन्यास का अनुवाद करती हूं।

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रात का सूरजमुखी - 1

रात का सूरजमुखी मूल तमिल लेखक राजेश कुमार हिन्दी अनुवाद एस. भाग्यम शर्मा संपादिका रितु वर्मा तमिल लेखक कुमार इस कहानी के मूल तमिल लेखक राजेश कुमार है। आपने 50 वर्षों में डेढ़ हजार उपन्यास लिखे और 2000 कहानियां लिखी। आपकी उपन्यास और कहानियों के पाठकों की संख्या बहुत ज्यादा है। अभी आपका नाम गिनीज बुक के लिए गया हुआ है। चाहे आपके उपन्यासों चाहे कहानियां दोनों ही एक बार शुरू कर दो खत्म किए बिना रखने की इच्छा नहीं होती उसमें एक उत्सुकता बनी रहती है। इसीलिए मैंने भी इनकी कहानियों का और उपन्यास का अनुवाद करती हूं। ...Read More

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रात का सूरजमुखी - 2

रात का सूरजमुखी अध्याय 2 बापू, कल्पना और सुबानायकम् तीनो लोग ऊपर से जल्दी-जल्दी उतर कर नीचे आए। राघवन लड़की से पूछताछ कर रहा था। किस बारे में अप्पा से मिलने आई हो तुम ? जो वह---है---ना--वो--- सिर झुका कर बोल रही थी उस लड़की की उम्र 20 साल के बराबर की थी। गेहूंआ रंग बड़ी-बड़ी आंखें सुंदर लग रही थी और साड़ी के पल्ले को अंगूठे से घुमा रहे थी । अरे ! राघवन---- सुबानायकम् आवाज देते हुए उस लड़की के समीप आए तो वह लड़की उठकर सम्मान के साथ खड़ी हुई। सुबानायकम् ने उस पत्र को दिखाते हुए शांता ...Read More

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रात का सूरजमुखी - 3

रात का सूरजमुखी अध्याय 3 स्वर्गम कॉटेज। पेड़ों के बीच में छोटे-छोटे झोपड़ी नुमा कॉटेज दिखे। उससे थोड़ी दूरी नीला समुद्र था। कार जाकर खड़ी हुई। "राघव----" "अप्पा !" "मैं और कल्पना कार में ही बैठते हैं। तुम, बापू और उस लड़की को लेकर अंदर जाकर पूछताछ करके आ जाओ।" राघवन ने सिर हिलाया। राघवन कॉटेज के स्वागत कक्ष की तरफ जाने लगा तो बापू और शांता उसके पीछे-पीछे चले। कुछ कदम चलते ही स्वागत कक्ष आ गया। स्वागत कक्ष में टेलीफोन पर बात कर रहा युवक टाई पहने हुए था। वे उसके पास गए। उसने जल्दी बात खत्म कर ...Read More

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रात का सूरजमुखी - 5

रात का सूरजमुखी अध्याय 5 शाम 6:00 बजे। सुबानायकम् के बंगले के सामने ऑटो को रोक कर मीटर देख देकर कंधे पर पर्स को लटका कर शांता ने घर के अंदर प्रवेश किया। घास को पानी दे रहे सुबानायकम् उसे देख कर बोले "जाकर सोफे पर बैठो------मैं अभी आ रहा हूं।" शांता अंदर गई। सामने के कमरे में कल्पना दिखी। उसके हाथ में एक पुरानी पुस्तक थी। "नमस्ते।" पुस्तक से आँख उठाकर कल्पना, शांता को देख धीरे से मुस्कुराई। "आओ !" "कुछ बात करनी है फोन किया था।" "बैठो ! बड़ों को आने दो।" शांता बैठी। कुछ देर मौन के ...Read More

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रात का सूरजमुखी - 6

रात का सूरजमुखी अध्याय 6 रात के 10:00 बजे। शांता टीवी को बंद कर सोने जा रही थी तभी बजा-बाहर जाकर दरवाजा खोला। बाहर- आधे अंधेरे में बापू खड़ा था। शांता मुस्कुराई। "अरे आप ? आइएगा-----पिछले दो दिनों से मुझे इंतजार था आप ऐसे ही एक रात को आओगे। अंदर आइएगा।" बापू अंदर आ गया! शांता ने ट्यूबलाइट जलाई और उसे कुर्सी दिखा कर बोली "बैठिए बापू।" वह थका उदास बैठते हुए फटी आवाज में बोला "शांता!" "हां।" "तुम्हें यह सब न्याय लग रहा है ?" "क्या ?" "अब मैं तुम्हारे रास्ते के बीच में नहीं आऊंगी कह कर ...Read More

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रात का सूरजमुखी - 7

रात का सूरजमुखी अध्याय 7 "ड्राइवर ! कार को इस तरफ खड़ी कर दो। उस गली में कार नहीं पाएगी।" राघवन के कहते ही ड्राइवर ने अंबेसडर कार को गली के पास खड़ी कर दिया । राघवन और कल्पना दोनों उतरे। गली में सुबह के समय बहुत भीड़-भाड़ थी। नल के नीचे लड़कियां पानी भर रही थीं। एक लड़की से कल्पना ने पूछा-"शांता का घर कहां है?" उस लड़की के मुंह में जो पान सुपारी थी उसे थूंक कर हाथ के इशारे से बताया। "वह जो नीम के पेड़ वाला घर है वही है।" दोनों उस नीम के पेड़ ...Read More

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रात का सूरजमुखी - 8

रात का सूरजमुखी अध्याय 8 "ड्राइवर ! कार को इस तरफ खड़ी कर दो। उस गली में कार नहीं पाएगी।" राघवन के कहते ही ड्राइवर ने अंबेसडर कार को गली के पास खड़ी कर दिया । राघवन और कल्पना दोनों उतरे। गली में सुबह के समय बहुत भीड़-भाड़ थी। नल के नीचे लड़कियां पानी भर रही थीं। एक लड़की से कल्पना ने पूछा-"शांता का घर कहां है?" उस लड़की के मुंह में जो पान सुपारी थी उसे थूंक कर हाथ के इशारे से बताया। "वह जो नीम के पेड़ वाला घर है वही है।" दोनों उस नीम के पेड़ ...Read More

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रात का सूरजमुखी - 9

रात का सूरजमुखी अध्याय 9 बापू घबराया हुआ चेहरा लिए पीछे को हुआ "इंस्पेक्टर----शांता की हत्या मैंने नहीं की।" मुस्कुराया। "बापू तुम झूठ बोल कर बच नहीं सकते। शांता ने मरने के पहले बयान में सब कुछ बता दिया है। सुबह 9:30 बजे के करीब काम पर जाने के लिए जब वह बस स्टॉप पर इंतजार कर रही थी आप शांता को अपनी कार में बैठाकर बेसन नगर के बीच में थे----एक खाली पेपर पर हस्ताक्षर करने को कह कर आपने उसे धमकाया-----उसके मना करने पर उस पर चाकू से वार किया जब शांता बेहोश होकर गिर गई तो ...Read More

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रात का सूरजमुखी - 10

रात का सूरजमुखी अध्याय 10 बेसन नगर के सरकारी अस्पताल के खुले बरामदे में चल रहे थे इंस्पेक्टर उनके सुबानायकम्, राघवन, कल्पना, बापू परेशान चेहरे से सबसे पीछे पीछे जा रहे थे। उनके बीच में मरुभूमि जैसे मौन व्याप्त था। पाँच मिनट चलने पर शवगृह आ गया। दरवाजा बंद था। वहां काम करने वाला दरवाजे का सहारा लेकर बैठा हुआ बीड़ी पी कर धुंआ उड़ा रहा था। इन्हें देख कर बीड़ी को फेंक कर जल्दी से उठ खड़ा हुआ। अपने दोनों हाथों को छाती से बांधकर खड़ा हुआ। "दरवाजा खोलो...." इंस्पेक्टर के बोलते ही उसने पेंट उतरे हुए दरवाजे ...Read More

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रात का सूरजमुखी - 11

रात का सूरजमुखी अध्याय 11 "क्यों जी...?" "टेबल लैंप के प्रकाश में एक सप्ताहिक पत्रिका को पढ़ते हुए राघवन था, पत्नी की आवाज सुनकर पलटा। "क्या बात है कल्पना ?" "आप कैसे पुस्तक पढ़ सकते हैं ?" "क्यों ऐसा पूछ रही हो ?" "इंस्पेक्टर ने जो दो दिन का समय दिया वह कल सुबह 6:00 बजे खत्म हो जाएगा..... शांता का हत्यारा कौन है पता नहीं चला!" "मुझे पता है हत्यारा कौन है ?" "कौन है ?" "मेरा भाई बापू ही है !" "आप ही ऐसे बोलोगे तो कैसे चलेगा ?" "कल्पना ! बाबू के बारे में तुम्हें कुछ ...Read More

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रात का सूरजमुखी - 12 - अंतिम भाग

रात का सूरजमुखी अध्याय 12 खुशी के मारे बापू की सांस फूलने लगी। "अप्पा..... यह...ये....!" "यह शांता ही है। रास्ते पर लाने के लिए हम लोगों ने इस नाटक का प्लान किया। इंस्पेक्टर कोई और नहीं है ! अपने राघवन का ही दोस्त है। शांता को मैं जानता ही नहीं तुम्हारे जिद करने के कारण इस स्थिति में तुमसे उसकी शादी कर देते तो शांता का जीवन नर्क हो जाता ऐसा सोचा मैंने और तुम्हारे भाई ने..... शांता के बड़प्पन को तुम्हें कैसे समझाएं सोचा....फिर हत्या के नाटक का अभिनय किया। इस नाटक का अभिनय करवाने वाले राघवन के ...Read More

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रात का सूरजमुखी - 4

रात का सूरजमुखी अध्याय 4 डॉक्टर कामिनी अगले रोगी का इंतजार कर रही थी। कल्पना उस दरवाजे को धकेल अंदर आई। "नमस्ते डॉक्टर !" "नमस्कार ! बैठिएगा-"---कुर्सी को दिखाते हुए बोली। कल्पना बैठकर फिर बोली "डॉक्टर! मेरा नाम कल्पना है। अभी मैं आपके पास रोगी बनकर नहीं आई-------आपसे एक बात जानकर कनफर्म करने आई हूं।" "क्या बात है ?' "मैं एक लड़की को लेकर आई हूं। उसका नाम शांता है । दो महीने से पहले उसने आपसे अबॉर्शन करवाया बताया ! क्या यह सच है यह मुझे मालूम करना है। यही नहीं----वह लड़की यहां एडमिट हुई तो उसे देखने ...Read More