Raat ka Surajmukhi - 10 books and stories free download online pdf in Hindi

रात का सूरजमुखी - 10

रात का सूरजमुखी

अध्याय 10

बेसन नगर के सरकारी अस्पताल के खुले बरामदे में चल रहे थे इंस्पेक्टर उनके पीछे सुबानायकम्, राघवन, कल्पना, बापू परेशान चेहरे से सबसे पीछे पीछे जा रहे थे।

उनके बीच में मरुभूमि जैसे मौन व्याप्त था।

पाँच मिनट चलने पर शवगृह आ गया। दरवाजा बंद था। वहां काम करने वाला दरवाजे का सहारा लेकर बैठा हुआ बीड़ी पी कर धुंआ उड़ा रहा था। इन्हें देख कर बीड़ी को फेंक कर जल्दी से उठ खड़ा हुआ। अपने दोनों हाथों को छाती से बांधकर खड़ा हुआ।

"दरवाजा खोलो...."

इंस्पेक्टर के बोलते ही उसने पेंट उतरे हुए दरवाजे को खोल दिया।

वे अंदर दाखिल हुए।

इंस्पेक्टर जहां शव रखा था उस टेबल के पास गए। मेज पर जो सफेद चद्दर बिछी थी उसकी तरफ गए। बापू का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।

चद्दर को इंस्पेक्टर ने हटाया।

आंखें बंद किए हुए शांता दिखी। थोड़ा सा मुंह खुला हुआ था दांत दिख रहे थे -जो साड़ी पहनी थी वह खून से भरकर सूख गई थी। पेट के पास ज्यादा ही खून था।

बापू का, शांता को इस हालत में देखकर सिर घूमने लगा।

नीचे ना गिर जाए इसीलिए पास में खिड़की के लोहे को उसने पकड़ लिया।

शांता के शव को फिर से चादर से ढक कर सभी लोग बाहर आए तो सामने एक डॉक्टर दिखे।

"आपके फोन का ही इंतजार कर रहा था।"

"क्या बात है डॉक्टर?"

"शव का पोस्टमार्टम आज नहीं कर सकते। एक जरूरी ऑपरेशन के लिए मैं निकल रहा हूं। कल सुबह कर देंगे।"

"रिपोर्ट कल सुबह 10:00 बजे मिल जाएगा ?"

"मिल जाएगा।"

"शरीर में कुल कितने चाकू के निशान हैं डॉक्टर ?"

" कुल 3 छाती पर एक, पेट पर दो। तुरंत अस्पताल लेकर आते तो बचा सकते थे। हत्यारे को पकड़ लिया क्या इंस्पेक्टर?"

"अभी नहीं। पूछताछ जारी है। कैसे भी हो दो दिन में कौन हत्यारा है निश्चित मालूम कर लेंगे।"

डॉक्टर के विदा लेकर जाने पर इंस्पेक्टर ने पास में खड़े बापू को देखा।

"बापू! इस केस में शांता ने जो कुछ बोला है उससे आप ही खूनी हैं। परंतु यह हत्या आपने नहीं की आप कह रहे हो... हत्या आपने नहीं की तो शांता ने ऐसा बयान क्यों दिया?"

"वही तो समझ में नहीं आ रहा है इंस्पेक्टर..."

"शांता और आपके बीच सचमुच में कोई संबंध नहीं है क्या ?"

"नहीं !"

"यह देखो बापू.... अब आपको कोई सच छुपाने की जरूरत नहीं। शांता के साथ आप का मिलना-जुलना, कॉटेज को जाना यह सब बातें हैं सच है तो मान जाओ..... केस को उस तरफ से ले जाकर देखें ! आप दिल खोलकर सब सच्चाई को बता दें.... आपके जो विरोधी हैं उनको मालूम करना आसान हो जाएगा!"

"माफ कीजिए इंस्पेक्टर ! शांता कौन है यह मैं नहीं जानता। हमारे परिवार के सम्मान को खराब करने के लिए मुझे उठा कर फांसी पर चढ़ाने के लिए यह योजना बनाई है।"

इंस्पेक्टर ने तने हुए चेहरे से सुबानायकम् को देखा।

"आपको किसी के ऊपर संदेह है क्या ?"

"वही सोच रहा हूं !"

"कोई पुरानी दुश्मनी हो सकती है !"

"इंस्पेक्टर.. हमारे परिवार में जहां तक याद है हम लोगों ने किसी के लिए भी कोई बुरा नहीं किया ।"

"राघवन...! आप कुछ कहना चाह रहे हैं क्या?"

"हां मन में एक अंदेशा है।"

"बोलिए।"

"शांता जहां काम कर रही है उस कंपनी में कुछ बात हुई होगी क्या ऐसा मैं सोच रहा हूं !"

"ऐसा क्यों सोच रहे हो ?"

"आदमी और औरतें कंपनी में साथ-साथ काम करते है वह एक वजह। शांता एक सुंदर लड़की है। शायद किसी ने उसे पसंद किया हो.... उसकी वजह से कोई समस्या खड़ी हुई हो...."

"यदि ऐसा कुछ था शांता ने मरते समय ऐसा बयान बापू ने ही मुझे मारा है क्यों कहती ?"

"वही मेरे समझ में नहीं आ रहा.... मुझे हत्या में फसाने से शांता को क्या लाभ होगा मेरी समझ में नहीं आ रहा।"

"शांता जिस रेनबो गारमेंट में काम कर रही थी वहां जाकर पूछताछ करते हैं। आप भी हमारे साथ आइए बापू !"

बापू ने सिर हिलाया।

रैनबो गारमेंट्स कंपनी दो मंजिले मकान में चल रही थी। नीचे सिलाई होती थी और ऊपर कार्यालय था।

इंस्पेक्टर और बापू कार्यालय में जाकर मैनेजर को मिलने की अनुमति लेकर उनके कमरे के अंदर गए।

मैनेजर 30 साल के युवा थे। सफारी सूट पहनकर एयर कंडीशन कमरे में रिवोल्विंग चेयर पर आराम से बैठे थे। इंस्पेक्टर को देखते ही थोड़ा सदमे में आए।

"किस कार्य से आए हैं साहब ?"

"आपकी कंपनी में काम करने वाली शांता नाम की लड़की के बारे में कुछ जानकारियां प्राप्त करनी थी।"

"शांता को क्या हुआ साहब ?"

"उसके बारे में अभी कुछ नहीं बोल सकते । आज सुबह शांता कंपनी में आई थी।"

"नहीं आई !"

"छुट्टी ली थी क्या ?"

"नहीं।"

"शांता का चाल-चलन कैसा था ?"

"अच्छी लड़की थी साहब। किसी से भी बेकार बात नहीं करती। कोई भी काम दे दो ठीक से पूरा करती।"

"शांता का कोई बाय फ्रेंड था क्या ?"

"ऐसा कोई है ! ऐसा नहीं लगता।"

"यहां पर कौन उसकी खास सहेली है ?"

"बैंकिंग सेक्शन में काम करने वाली उमा।"

"उस लड़की को बुलाओगे ?"

"एक मिनट !" कहकर मेज पर रखे इंटरकॉम का उपयोग कर बैंकिंग सेक्शन से उमा को बुलवाया। 5 मिनट में उमा आ गई।

ऊंचा जुड़ा बनाए हुई साधारण सुंदर लड़की उमा आई, इंस्पेक्टर को देखकर डरी।

"शांता तुम्हारी खास दोस्त है ना ?"

"हां सा साहब।"

"सब बातें तुम्हें बताती थी ?"

"कुछ हद तक।"

"शांता का कोई बाय फ्रेंड था क्या ?"

"जहां तक मुझे पता है नहीं।'

उमा को बापू को दिखाते हुए इंस्पेक्टर ने पूछा "इन्हें तुमने इसके पहले कभी देखा है क्या?"

उमा बापू को देखकर सिर हिलाया।

"नहीं।"

"शांता किसी और के घर जाती थी क्या ?"

"मुझे नहीं पता।"

इंस्पेक्टर और भी कुछ लोगों से पूछताछ कर फिर बापू के साथ कंपनी से बाहर निकले। जीप से घर जाते समय जब बोले "बापू! शांता के बारे में और कहीं पूछताछ करने का रास्ता ही नहीं है.... और दो दिन में असली हत्यारा नहीं पकड़ा गया तो आपको कैद करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। शांता की हत्या को दो दिन से ज्यादा छुपा कर नहीं रख सकते।"

"साहब..... कसम से मैंने यह हत्या नहीं की। वह शांता कौन है मैं नहीं जानता।"

"ऐसा आपके बार-बार कहने से कोई फायदा नहीं है।अगले दो दिन में शांता का हत्यारा कौन हैं मालूम करना पड़ेगा। नहीं तो शांता के दिए गए बयान के अनुसार आप को कैद करना पड़ेगा...."

"साहब... यह.. कुछ.. षड्यंत्र है!"

"विधि है षड्यंत्र है वह सब मुझे नहीं पता मेरा काम जो है मुझे करना पड़ेगा।"

"साहब मैं निर्दोष हूं।"

"आप निर्दोष हो कि नहीं हो मुझे नहीं पता। इस हत्या में आप फंसे हुए हो उससे निकलने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता है...."

"वह क्या रास्ता है साहब ?"

"आपके अप्पा सुबानायकम् और पुलिस कमिश्नर चेल्लअप्पा दोनों पक्के दोस्त हैं। इस हत्या के विवरण को छुपाने के लिए तुम्हारे अप्पा कमिश्नर से एक बार बोलें तो सब हो जाएगा।"

"साहब... अप्पा के बारे में आप नहीं जानते। वे उस जमाने के गांधीवादी हैं। गलती करने वाला कोई भी हो ठीक पर उसे दंड तो मिलना ही चाहिए वे अक्सर बोलते रहते हैं। उनका दो दिन का समय लेना ही बहुत बड़ी बात थी। इन दो दिनों में आप सचमुच के हत्यारे को पकड़ लें तो ही ठीक रहेगा साहब!"

"मुझसे जो हो सकेगा वह करूंगा। दो दिन में हत्यारा कौन है वह पकड़ न सके तो आपको ही कैद करके कोर्ट में ले जाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है !"

बापू का दिल धीरे से बैठने लगा।

'शांता को किसने मारा ?'

' शांता की हत्या हुई तो मरते समय मुझे हत्यारा क्यों बताया ?'

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