अंकुर डायरी में लिखे नाम और पते को घर के बाहर लगी नाम पटिका(name plate) से मिलाता है | पता तो ठीक था लेकिन नाम अलग लिखे थे | यह देख वह असमंजस में पड़ जाता है | सिर खुजाते हुए वह अभी सोच ही रहा था कि अचानक घर का दरवाज़ा खुलता है और एक मध्यम उम्र के सरदारजी बाहर निकलते हैं | वह अंकुर को देख ठिठक कर रुक जाते हैं | अंकुर उनसे कुछ पूछता इससे पहले ही वह बोल उठे ‘आप क्या टीवी ठीक करने के लिए आए हैं’ | अंकुर मुस्कुराते हुए बोला ‘जी नहीं,

Full Novel

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राज - भाग-१

अंकुर डायरी में लिखे नाम और पते को घर के बाहर लगी नाम पटिका(name plate) से मिलाता है | तो ठीक था लेकिन नाम अलग लिखे थे | यह देख वह असमंजस में पड़ जाता है | सिर खुजाते हुए वह अभी सोच ही रहा था कि अचानक घर का दरवाज़ा खुलता है और एक मध्यम उम्र के सरदारजी बाहर निकलते हैं | वह अंकुर को देख ठिठक कर रुक जाते हैं | अंकुर उनसे कुछ पूछता इससे पहले ही वह बोल उठे ‘आप क्या टीवी ठीक करने के लिए आए हैं’ | अंकुर मुस्कुराते हुए बोला ‘जी नहीं, ...Read More

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राज - भाग -२

अगला एक हफ्ता पास-पड़ोस का आना-जाना और पार्टी का माहौल बना रहा | देर रात जब भी अंकुर सोने लिए कमरे में आता तो दादा-दादी उसके साथ ही बेड पर बैठ उसका माथा बारी-बारी से तब तक सहलाते रहते जब तक कि वह सो नहीं जाता | अंकुर हैरान था कि आखिर दादा-दादी उसके माँ-बाप के बारे में क्यों नहीं पूछते हैं | उसे एक बात और भी हैरान करती कि कभी भी जब वह अकेले दादा या दादी से बात शुरू करता तो दूसरा उसी समय वहाँ आकर बैठ जाता और किसी और विषय पर बात शुरू कर ...Read More