पुराने किलांे और महलों के बारे में कई तरह की अफवाहें प्रचलित हैं, ऐसी ही एक इमारत का रोचक और रहस्यपूर्ण किस्सा आज हम आपको सुनाते हैं। ..तो हो जाइये तैयार किस्सा सुनने के लिये ! ग्वालियर जिले में हरसी से भितरवार जाने वाली सड़क पर ग्राम सालवई नाम की एक छोटी सी बस्ती है। बस्ती से एक किलोमीटर की दूरी पर ऊंची पहाड़ी के शिखर पर प्राचीन और जीर्णशीर्ण सा एक किला दिखता है। यही किला सालवई के प्रसिद्ध किले के रूप में विख्यात है।

Full Novel

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मूर्ति का रहस्य - 1

मूर्ति का रहस्य 1 बाल उपन्यास रामगोपाल भावुक सम्पर्क- कमलेश्वर कोलोनी (डबरा) भवभूतिनगर जि0 ग्वालियर ;म0 प्र0 475110 मो0 9425715707, 8770554097 एक पुराने किलांे और महलों के बारे में कई तरह की अफवाहें प्रचलित हैं, ऐसी ही एक इमारत का रोचक और रहस्यपूर्ण किस्सा आज हम आपको सुनाते हैं। ..तो हो जाइये तैयार किस्सा सुनने के लिये ! ग्वालियर जिले में हरसी से भितरवार जाने वाली सड़क पर ग्राम सालवई नाम की एक छोटी सी बस्ती है। बस्ती से एक किलोमीटर की दूरी पर ऊंची पहाड़ी ...Read More

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मूर्ति का रहस्य - 2

मूर्ति का रहस्य - दो गाँव में तीज-त्यौहार आते हैं तो लोग सारे डर और आतंक भूल कर उनमें रम जाते हैं। ऐसा ही हुआ। दशहरे का पर्व बीता तो हर वर्ष की तरह गाँव की लड़कियाँ सुअटा का खेल खेलने लगी। सेठ बैजनाथ की पुत्री चन्द्रवती अपनी सहेलियों के साथ सुअटा सजाने लगी। उन सबने पहले गीली-मिट्टी सान कर दीवाल के सहारे एक पुतला बनाया। कोड़ियाँ लगा कर उसकी दोनों आँखें बना दी। उसके पैरों में महावर लगा दिया। सुअटा सजाने की जिम्मेदार कृष्णा ने उसके माथे पर रोरी का सुन्दर तिलक लगाया। उसको जनेऊ पहनाया। उसके माथे ...Read More

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मूर्ति का रहस्य - 3

मूर्ति का रहस्य तीन फरवरी का महीना था । बसन्त ऋतु थी एक दिन एक जीप सालवाई गाँव के हनुमान चौराहे पर आकर रूकी। जीप पर लिखा था-‘‘पुरातत्व सर्वेक्षण दल ग्वालियर’’ जीप देखकर लोग सिमट आये। पता चला-किले की खोज में पुरातत्व विभाग वाले अफसर आये हैं। लोगों ने पहचाना उनमें एक व्यक्ति तो वो था जो इस गाँव में पिछले एक वर्ष से चक्कर काट रहा है। यहाँ के लोग इन्हें त्यागी जी के नाम से जानते हैं। इनका पूरा नाम है विश्वनाथ त्यागी। वे इस वक्त खादी का पाजामा एवं कत्थई रंग का नेताओं जैसे ...Read More

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मूर्ति का रहस्य - 4

मूर्ति का रहस्य चार में नया सरकारी हाई स्कूल शुरू हुआ था जिसमें विज्ञान के नये शिक्षक अशोक शर्मा, एक दिन पहले ही उपस्थित हुऐ थे। उस दिन वे विज्ञान के पीरियड में कक्षा में आये। शुरू में छात्रों से परिचय जानने के बाद, वे अपने विषय पर आते हुए बोले-‘‘विज्ञान का अध्ययन हमारे चित्त में जन्मे अन्धविश्वासों को निकाल देता है। विज्ञान के कारण हमारी जो प्रगति हुई है उससे आप सब परिचित ही हैं। चन्द्रावती ने अपनी सीट से खड़े होकर उत्सुकता प्रगट की-’’सर जी भूत-प्रेतों की बातें विज्ञान की दृष्टि में कितनी सार्थक है।’’ ...Read More

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मूर्ति का रहस्य - 5

मूर्ति का रहस्य 5 रमजान किले के ऊपर सीधा दरगाह पर जा पहँुचा। उसने वहाँ अगरबत्ती लगाई और नमाज की मुद्रा में सलाम करने बैठ गया। उसी समय पीछे से आकर किसी ने उसे जकड लिया। वह जान रहा था यही होगा। कुछ ही क्षणों में उसने अपने आपको कैदखाने में पाया उसे स्वास लेने में कष्ट का अनुभव हो रहा था सीड़न की बदबू से उसका मस्तिष्क फटा जा रहा था। अंधेरे कमरे में कुछ भी नहीं सूझ रहा था। उसके हाथ पाँव बंधे थे, और वह हिल डुल भी नहीं पा रहा था सो ...Read More

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मूर्ति का रहस्य - 6

मूर्ति का रहस्य छः सेठ रामदास की दूती शान्ति कही चाय के बहाने, कही नाश्ते के बहाने बार बार में आ जाती और लौट कर चन्द्रावती की स्थिति से सेठ जी को अवगत कराती। पंडित कैलाशनारायण शास्त्री को सेठ रामदास ने अपने विचारों से अवगत कराया-‘‘पंण्डित जी यह फौजी का लडका मुझे विश्वास योग्य नहीं लगता। बहुत ही चतुर चालाक है । ’’ पंडित कैलाशनारायण ने सेठ रामदास के विचार जानने के उद्धेश्य से पूछा-‘‘और आपकी चन्द्रावती ।’’ ‘‘ वह भी मुझे बदमाश लग रही है । देख नहीं रह,े हमें कैसे कैसे घुमा रही है।’’ रामदास ने कहा ...Read More

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मूर्ति का रहस्य - 7

मूर्ति का रहस्य -सात चन्द्रावती को जैसे ही पास-पढ़ौस के लोगों ने घर में देखा, गाँव भर में शोर गया । किले से पहली बार कोई जीवित लौटकर आया है। गाँव के लोग चन्द्रा के हाल चाल जानने उसके घर आने लगे । काशीराम कड़ेरे ने चन्द्रावती से पूछा-‘‘कहो बिटिया ठीक से तो हो ?’’ चन्द्रावती ने उत्तर दिया - ‘‘रमजान भैया की कृपा से सब ठीक है । अब तो वहाँ रमजान भैया सबसे बडे़ भूत बन बैठे हैं । वहाँ सब भूतों को उनकी बातें मानना पड़ती हैं । आप लोग चिन्ता नहींें करें । एक दो ...Read More

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मूर्ति का रहस्य - 8

मूर्ति का रहस्य आठ पर पड़े पड़े रमजान सोच रहा था -‘‘चन्दा की वजह से समय का पता ही नहीं चलता था। उसे गाँव पहुँचाया भी या नहीं । क्या पता उसे यही किसी तलघर में कैद कर रखा हो?’’ यदि वह गाँव पहुँच गयी तो उसने अपना काम शुरू कर दिया होगा । लोगों के चिŸा से उसने भय के भूत को निकाल दिया होगा । खड खड़ की आहट हुई। रमजान लगा- ये वही लोहे का दरवाजा खड़क रहा है।‘ वह बिस्तर से उठ कर बैठ गया। उसने देखा, विश्वानाथ त्यागी सीढ़ियों ...Read More

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मूर्ति का रहस्य - 9

मूर्ति का रहस्य - नौ: रमजान विश्वनाथ त्यागी के चेहरे के भावों से सब कुछ समझ गया कि श्रीमान यहाँ भी कुछ समझ नहीं आया तो बोला - ‘‘ क्यों त्यागी जी यहाँ आपकी पुरातत्व वाली जानकारी काम नहीं आई ?’’ रमजान ने बिना उत्तर सुने आगे बढकर उस मूर्ति की आँखों में झाँक कर देखा और उस इबारत को कई बार पढ़ा ‘‘ छोटा भाई बडे भाई को मारे तो पावे ।’’ मूर्ति से हट कर रमजान भी उन्हीं के पास आकर खडा हो गया । सेठ राम दास ने अपनी बात रखी - ‘‘ मै तो इन ...Read More

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मूर्ति का रहस्य - 10 - समाप्त

मूर्ति का रहस्य दस: और रामदास को मोहरों की तरफ ताकता देख, वहाँ से खिसकने के मनसूबे से रमजान और चंद्रावती तलघर से बाहर निकलने के लिये, सीढ़ियों की तरफ मुड़े। इसी समय उन्हे सीड़ियों पर कुछ पदचापें सुनाई पड़ीं। विश्वनाथ त्यागी ने गरज कर कहा - ‘‘कोई नीचे आने की कोशिश न करना। अन्यथा उसका वही हाल होगा जो बड़े सेठ का हुआ है।’’ ‘‘चुप वे ऽऽऽ, बड़ा चालाक बनता है, ये रामदास तो निरा मूर्ख है। जो तेरी बातों मे फँस गया। तूने तो उसे ही मार डाला होता। अब तुम सब मजा चखो।’’ ...Read More