इस कहानी में मृग, काग (कौआ) और गीदड़ की मित्रता का विवरण है। मगध देश के चंपकवती वन में मृग और कौआ स्नेहपूर्वक रहते थे। एक गीदड़, मृग को देखकर उसे अपने जाल में फंसाने की योजना बनाता है। वह मृग से मित्रता करने की कोशिश करता है और खुद को अकेला बताता है। मृग उसे स्वीकार कर लेता है। कौआ, जो मृग का पुराना मित्र है, गीदड़ की सच्चाई पर संदेह करता है और उसे अनजाने लोगों से मित्रता नहीं करने की चेतावनी देता है। मृग इसे नजरअंदाज करता है और गीदड़ को अपने मित्र के रूप में स्वीकार करता है। धीरे-धीरे, गीदड़ मृग को एक अनाज के खेत में ले जाता है, जहां मृग फंस जाता है। कहानी में यह संदेश है कि बिना किसी की सच्चाई जाने मित्रता नहीं करनी चाहिए, और यह कि व्यवहार से ही मित्र और शत्रु बनते हैं। मित्रलाभ - 3 by MB (Official) in Hindi Short Stories 532 2.6k Downloads 8.3k Views Writen by MB (Official) Category Short Stories Read Full Story Download on Mobile Description मगध देश में चंपकवती नामक एक महान अरण्य था, उसमें बहुत दिनों में मृग और कौवा बड़े स्नेह से रहते थे। किसी गीदड़ ने उस मृग को हट्ठा- कट्ठा और अपनी इच्छा से इधर- उधर घूमता हुआ देखा, इसको देख कर गीदड़ सोचने लगा -- अरे, कैसे इस सुंदर (मीठा) माँस खाऊँ ? जो हो, पहले इसे विश्वास उत्पन्न कराऊँ। यह विचार कर उसके पास जाकर बोला -- हे मित्र, तुम कुशल हो ? मृग ने कहा तू कौन है ?' वह बोला -- मैं क्षुद्रबुद्धि नामक गीदड़ हूँ। इस वन में बंधुहीन मरे के समान रहता हूँ, और सब प्रकार से तुम्हारा सेवक बन कर रहूँगा। मृग ने कहा -- ऐसा ही हो, अर्थात रहा कर। इसके अनंतर किरणों की मालासे भगवान सूर्य के अस्त हो जाने पर वे दोनों मृग के घर को गये और वहाँ चंपा के वृक्ष की डाल पर मृग का परम मित्र सुबुद्धि नामक कौवा रहता था। कौए ने इन दोनों को देखकर कहा -- मित्र, यह चितकवरा दूसरा कौन है ? मृग ने कहा -- यह गीदड़ है। हमारे साथ मित्रता करने की इच्छा से आया है। कौवा बोला -- मित्र, अनायास आए हुए के साथ मित्रता नहीं करनी चाहिये। Novels मित्रलाभ एक समय दक्षिण दिशा में एक वृद्ध बाघ स्नान करके कुशों को हाथ में लिए हुए कह रहा था-- हे हो मार्ग के चलने वाले पथिकों ! मेरे हाथ में रखे हुए इस सुवर्ण क... More Likes This रागिनी से राघवी (भाग 1) by Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन by Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) by Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 by Soni shakya शनिवार की शपथ by Dhaval Chauhan बड़े बॉस की बिदाई by Devendra Kumar Age Doesn't Matter in Love - 23 by Rubina Bagawan More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories