इस कहानी का शीर्षक "ब्लाइंड डेट" है, जिसमें ईशा और ईशान के बीच की भावनात्मक बातचीत को दर्शाया गया है। कहानी के आरंभ में, ईशा और ईशान विदाई के समय एक-दूसरे के प्रति अपनी भावनाओं को समझते हैं, लेकिन खुलकर बात करने में संकोच करते हैं। ईशान ईशा से कहता है कि वह उसे बहुत करीब से देख चुका है और उसके अहसास को छूना चाहता है। ईशा, अपनी जकड़न और दर्द से मुक्त होकर, ईशान के साथ बिताए समय को अपने लिए महत्वपूर्ण मानती है, लेकिन यह भी कहती है कि इसे यहीं पर खत्म करना चाहिए। ईशा को विदाई के समय कुछ सवाल पूछने का मन होता है, लेकिन वह असमंजस में है कि क्या पूछे। कहानी में यह भी दर्शाया गया है कि ईशा ने अपनी खोज में खुद को भटकने दिया और ईशान उसकी खोज का हिस्सा बन गया। विदाई के समय, दोनों के बीच की गहरी भावना और जटिलता को चित्रित किया गया है, जो उन्हें बाहरी तौर पर अजनबी बनाते हुए भी एक-दूसरे के लिए खास बनाता है। कहानी में ईशा की व्यक्तिगत यात्रा और उसकी आत्म-खोज का भी उल्लेख है, जो उसे अरुणाचल प्रदेश में अपने कार्य के दौरान अनुभव होती है। उसे लगता है कि वह एक अकेली पहाड़ी बन गई है, जिसमें एक घाटी है, और वह उस घाटी के कोहरे में खोई हुई है। यह कहानी गहरे भावनात्मक संबंध और आत्म-खोज की यात्रा को दर्शाती है। ब्लाइंड डेट by Geeta Shri in Hindi Moral Stories 6 3k Downloads 10.7k Views Writen by Geeta Shri Category Moral Stories Read Full Story Download on Mobile Description वह मुस्कुराने की कोशिश कर रहा है। चेहरे पर स्याह रंगत वह देख समझ सकती है। क्या ईशान भी उसके चेहरे को पढ़ पा रहा है। विदा की बेला में वह ज्यादा बात नहीं करना चाहती। न खुद बोलना चाहती है न उसे बोलने देना चाहती है। बिन कहे विदा मुश्किल तो होती है पर... “आई मिस यू टू माई डियर स्ट्रैंजर...” ईशा ने हाथ बढ़ाया जिसे ईशान ने थाम लिया। दोनों की हथेलियों की ऊष्मा एक दूसरे के नसों तक पहुंच रही थी। ऊष्मा में कुछ ध्वनियां थीं-- “ मैंने बहुत नज़दीक से देखा तुम्हें, क्या हम कुछ लम्हें जी सकते हैं, एक साथ! इतने दिनों से हम जिस अहसास को आत्मा का हिस्सा बनाए बैठे हैं, क्या उसे मैं छू सकता हूँ” ईशा.... इतने दिनों में तुम मेरा हिस्सा बन गयी हो, मैं तुम्हारे साथ ही जैसे चला जाऊंगा, तुम्हारे अहसास के बिना ही, मैं तुम्हारा अहसास चाहता हूँ” More Likes This जिंदगी के रंग - 1 by Raman रुह... - भाग 8 by Komal Talati उज्जैन एक्सप्रेस - 1 by Lakhan Nagar माँ का आख़िरी खत - 1 by julfikar khan घात - भाग 1 by नंदलाल मणि त्रिपाठी सौंदर्य एक अभिशाप! - पार्ट 2 by Kaushik Dave चंदन के टीके पर सिंदूर की छाँह - 1 by Neelam Kulshreshtha More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories