darindgi se insaaf... by Dear Zindagi in Hindi Poems PDF

दरिंदगी से इंसाफ़...

by Dear Zindagi in Hindi Poems

दुख दर्द और जख्मी जिस्म ,तड़प रही रूह दुनिया के सामने,जूझ रहा कायनात का हर वक़्त,नन्ही कली को कैद बना रख घर ,बिखरा हुआ हर एक शक्श जहा से,निखर जाए जो लड़ा जाए इस सोच पर,सुनना एक दर्दनाक कहानी,जो ...Read More