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मंजिल की तलाश

by Rajsa Is Back in Hindi Poems

निकल पड़ा हूं सुनसान सड़कों पर ,डर है कहीं खो ना जाऊं।जागती आंखो ने कुछ सपने देखे हैंडर है कहीं सो ना जाऊं।। इन सपनों को लिए निकल पड़ा हूं,अकेले ही इस राह पर।मिले जो कोई तो पुछूं उनसे,क्यों ...Read More