Biwi se Panga, Pad gaya Mahenga - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

बीवी से पंगा, पड़ गया महँगा - भाग 3



नवरात्र का महीना सुरु हो गया था और हर रोज़ किसी न किसी चीज़ को लेकर मेरा मेरी बीवी से अनबन होता ही रहता था पर एक दिन मेरी बीवी सुबह से मुझसे बात नही कर रही थी और मुझे खिज़ खिज़ लग रहा था कि वो मेरा जवाब क्यों नही दे रही है

शाम का समय, मुझे चाय की तलब लगी , कई बार मैंने चाय बनाने को कहा और सब्र का गागर भर गया तोह चीड़ कर मैंने कहा" यार दुश्मन को भी चाय बनाकर पिलाया जाता है मैं तोह फिरभी तुम्हारा पति हूँ" , वो फ़ोन पर अपनी सहेली से बात कर रही थी, मेरी बात सुनते ही मोबाइल रख कर वो गैस पर चाय बनाने की सारी सामग्री चढ़ा , बिना बोले ही बाहर कुछ लाने चली गयी

मैं बाथरूम जाने के लिए उठा तोह क्या देखता हूँ कि गैस पर तपेली में चाय हल्का सा उबल रहा है , देखते ही मेरा पारा बढ़ गया, मन बना लिया था कि आज बीवी की खैर नही, में गैस बंद करके इतंज़ार करने लगा

बीवी आयी तोह उसका गुस्सा भी साथ उसके रूप में आया

मैं अपना मुंह खोलने ही वाला था कि बीवी किचन में समान रखते हुए बोली
" कोई कैसे अपनी बीवी को गुलाम समझ सकता है"

मैं फौरन अपने खोले हुए मूंह पर ताला लगा लिया

"शादी की है तोह भरोसा करना सीखो" बीवी ने कहा

मैं याद करने लगा कि कब मैंने उसका भरोसा तोड़ा, सोच ही रहा था कि वो फिरसे सुरु हो गयी

"बीवी की चार लोगों के सामने बेइज़्ज़ती करोगे और वो चार लोग बीवी पर बत्तीसी दिखा दिखा कर हँसे, यह कोई क्यों बर्दाश्त करें"

बीवी को देख कर लग रहा था कि मरक्यूरी का पारा उसके सामने कुछ नही है

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था , बीवी कप में चाय डालने लगी

"मैं उसकी बीवी होती तोह पति की चाय में ज़हर और उसके दोस्तों के चाय में जुलाब की गोली डाल देती"

मैं सोच ही रहा था, अपनी गलतियों का पोथा अपने दिमाग में खोल चुका था कि मेरी बीवी की बात मेरे दिमाग में घुसी की अगर वो उसकी बीवी होती तोह, अच्छा अब समझ में आया मैडम किसी और का गुस्सा निकाल रही थी,

हुआ यूं , वो बिल्डिंग के नीचे वाली दुकान से कुछ खाने की सामग्री खरीदने गयी, गल्ले पर एक औरत सब्जियां बेच रही थी
बीवी ने आधा किलों गोबी लिया, एक किलों सेव, एक तरबूज और एक किलों संतरा,
यह सब हो रही रहा था कि उस औरत का आदमी अपने चार दोस्तों के साथ वहां पहुँच गया, बोला अपने दोस्तों से" ये कल्लू , रुक्क जा, चाय पी के जा, बहुतें दिन बाद मिले है"

दोस्त रुक्क गए, उसके पति ने मेरी बीवी को अपने बैग में सामग्री रखते देखा और गोबी को देख कर अपनी बीवी से पूछा," ई कितना किलों बेची है"

बीवी सकपका गयी और मर्द के दोस्तों को देखा, मेरी बीवी की तरफ भी देखी, उसे लगा कि उसके पति ने उसकी आत्मा पर सवाल उठाया है" जी आधा किलों" बीवी ने डरे हुए स्वर में जवाब दिया

"नही यह आधा क़िलों नही है" उसके पति ने स्वर उच्चा करके बताया और मेरी बीवी के हाथ से गोबी उठा कर तौलने लगा , और उसके पति का मुंह कद्दू जैसा हो गया जब कांटे में आधा किलो ही दिखा रहा था, दोस्तों के सामने फजियत हो गयी, वो यही नही रुका
मेरी बीवी के समान को एक एक करके फिरसे भाव लगाने लगा,

उसकी बीवी ने 440 रुपये लगाए थे, पति फिरसे गिनवाने लगा

मेरी बीवी को हैरानी इस बात की थी कि मिया बीवी कैलकुलेटर ले के बैठे ही थे, पर वो चार मेहमान जो चाय पीने के लिए रुके हुए थे वो भी मोबाइल निकाल कर कैलकुलेट करने लगे, भला उन्हें क्या पंचायत थी

इस बात को लेकर मेरी बीवी का गुस्सा फूट पड़ा और आव देखा न ताव, मेरी बीवी ने उसके पति को जो सुनाया है, यह सुनकर उसके दोस्त दुम दबा कर भाग निकले और पति की सिट्टी पिट्टी गुल हो गयी

वाह भाई वाह!!! मेरी बीवी इस तरह घर में आकर मुझपर इतने दिनों का भड़ास भी निकाल दिया और मुझे इनडाइरेक्ट तरीके से समझा भी दिया की सबके सामने बेइज़्ज़त करोगे तोह हाजमोला की गोली नहीं बवासीर की गोली दे दूंगी
उसकी दी हुई चाय फुक फुक कर पी रहा था