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फरदीन

ये कहानी है एक जादुई और तिलस्मी रियासत कुबाचा की।
इस कहानी में मुख्य पात्र है फरदीन और उसकी प्रेमिका शहजादी रुकसाना की।।

फरदीन



रात के दूसरे पहर का समय था। एक युवती और युवक तेजी से जंगल से होकर गुजर रहे हैं या तेजी से हांफते हुए अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे हैं। उनके पीछे एक बहुत भयानक सा दिखने वाला भयंकर काला आदमी भाग रहा था। देखने में वो कोई दानव या फिर यति लग रहा था। उस आदमी के साथ ऊपर एक काला कौआ भी उड़ रहा था जो की दिखने में काफी भयंकर और रात के सन्नाटे में और भी जानलेवा नजर आ रहा था।
युवती ने अपनी कोख में एक छोटा सा नवजात शिशु दबा रखा है और लगातार उसकी आंखों से आंसुओं की धार निकल रही है।
अचानक से वो आदमी जो उनका पीछा कर रहा है वो रुक जाता है और उसके साथ हवा में उड़ रहा काला कौआ भी।
कौआ बहुत ही भयानक आवाज में बोलता है " क्या हुआ जादूगर सिंघाड़ा रुक क्यों गए?"
जादूगर सिंघाड़ा - " झाकू ये दोनों मोहरे हाथ से निकल रहे हैं और किताब में वर्षों से कैद वो नटखट जादूगर भी। अब चाल चलनी होगी।"
इतना कहकर जादूगर सिंघाड़ा अपना हाथ हवा में करता है और जोर से चिलाते हुए भयानक आवाज में बोलता है " शैतानों के शैतान, हैवानों के हैवान गिरा दे इन पर पेड़ और कर दे इनका काम तमाम।"
इतने में पेड़ कटकर उन दोनों युवक और युवती के पैरों में आ गिरते हैं। वो युवक तो जैसे तैसे करके खुद को संभाल लेता है लेकिन युवती लड़खड़ाकर गिर जाती है लेकिन बच्चे को वो वैसे ही सीने से चिपटाए रखती है।
इससे पहले की वो मनहूस जादूगर सिंघाड़ा और काला भूतिया कौआ झाकु कुछ कर पाता या उन तक पहुंच पाते इससे पहले ही उस युवक ने युवती को जैसे तैसे करके उठाया और वो बच्चा अपनी गोद में भरते हुए वे दोनों फिर से भाग गए। जादूगर सिंघाड़ा अपने गिराए हुए पेड़ों में ख़ुद ही अटककर गिर गया और उस कौए की आंख में एक पेड़ की टहनी लगी जिससे वो कुछ देर के लिए आसमान में ही आवारा मसीहा बनकर रह गया। युवक और युवती जंगल से बाहर एक नदी के पास आ गए।
युवक - " हमें हमारे बच्चे को नदी में किसी टोकरी में बिठाकर तैरा देना चाहिए।"
युवती - " हम ऐसा नहीं कर सकते। हमारा बच्चा हमारे कलेजे का टुकड़ा है। हम इसे खुद से दूर नहीं कर सकते।"
इतने में वो युवक एक टोकरी उठाकर उस युवती के आग करते हुए बोला " हमारे पास समय बिलकुल भी नहीं है। जादूगर सिंघाड़ा हमें मार देगा। हमारे बच्चे को अगर बचाना है तो फिर हमें इसे नदी में तैराना ही होगा। हम आपकी परेशानी समझ सकते हैं लेकिन हमारे पास और कोई भी रास्ता नहीं है। जल्दी कीजिए इससे पहले की जादूगर सिंघाड़ा जहां पर आ जाए। आप फिक्र मत कीजिए हम अपनी सारी जादुई शक्तियाँ हमारे बेटे को दे देंगे।"
युवती - " लेकिन क्या ये शक्तियों को संभाल पाएगा।"
युवक - " इसे अपनी शक्तियां याद नहीं रहेंगी। लेकिन किसी के याद कराने पर इसकी शक्तियां वापिस लौट आएगी। अगर हमें जादुई किताब के नटखट बदमाश को काले जादूगर सिंघाड़ा से बचाना है तो हमें ये करना ही होगा।"
युवती ने नवजात शिशु को टोकरी में रखा और उसकी आंखों से लगातार आंसुओं की धार बहने लगी।
युवक युवती के कंधे पर हाथ रखते हुए - " हमारा वक्त आ गया है। आप फिक्र मत कीजिए हमारा बेटा बहुत बहादुर होगा और ये एक दिन हमारी मौत का बदला लेगा और यही होगा जादुई किताब के नटखट शैतान बुलबुला का असली मसीहा उसका सुल्तान।"
युवती ने चुपचाप हां में सिर हिलाया और अपने बच्चे को टोकरी समेत नदी में तैरा दिया।
इतने में जादूगर सिंघाड़ा भागते हुए वहां पर आ गया। युवक और युवती दोनों ही उसका ध्यान भटकाने के लिए दूसरी और भाग गए और जादूगर सिंघाड़ा और काला कौआ भी उनके पीछे भागे।
काला कौआ उड़ते हुए जोर से बोला " जादूगर सिंघाड़ा ये दोनों हाथ से निकल जाएंगे। जल्दी से रमल फेंकों।"
अचानक से जादूगर सिंघाड़ा वहां से गायब हो गया और भागते हुए युवक युवती के बिलकुल सामने जाकर खड़ा हो गया। युवक और युवती अचानक से अपने सामने जादूगर सिंघाड़ा को देखकर डर गए और धड़ाम से उसके पैरों में जा गिरे।
जादूगर सिंघाड़ा हंसते हुए " आ ही गए मेरे हाथ में।"
युवक और युवती खड़े होते हुए बोले " आज या तो तुम मरोगे या फिर हम।"
जादूगर सिंघाड़ा हंसते हुए " हा हा हा हा हा हा। इस दुनिया में कोई भी नहीं जो जादूगर सिंघाड़ा को मार सके। अब मुझे चुपचाप वो जादुई किताब मौत के संसार से लाकर दो।"
युवती - " कभी नहीं। तुम कभी भी उस जादुई किताब को हासिल नहीं कर पाओगे।"
इतना कहकर जादुई शक्तियों की एक घमासान लड़ाई वहां पर चल गई।
कभी जादूगर सिंघाड़ा जीतते हुए नजर आता तो कभी युवक और युवती। लेकिन तभी काले मनहूस कौए ने आकर सारा काम चौपट कर दिया और युवक युवती पर हमला बोल दिया। इस लड़ाई में युवक और युवती को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा लेकिन जादूगर सिंघाड़ा की भी सभी शक्तियां इस लड़ाई में चली गई और उसका असली जादुई शरीर भी। काला कौआ जैसे तैसे करके बच गया।
काला कौआ - " ये क्या कर दिया तुमने जादूगर सिंघाड़ा। सिर्फ ये दोनों ही थे जो उस जादुई किताब को हाथ लगा सकते थे और तुमने इन दोनों को ही मार डाला।"
जादूगर सिंघाड़ा - " उस किताब तक पहुंचने का मैं और कोई रास्ता निकाल लूंगा। मेरी सारी शक्तियां चली गई हैं। इतना कहकर जादूगर सिंघाड़ा भी धड़ाम से जमीन पर गिर गया और उसके मुंह से एक खून की धार निकल गई जो उस सुनसान और भयानक रात में किसी जहर की नदी की तरह लग रही थी। इसके बाद सबकुछ शांत हो गया। सिर्फ उल्लुओं का रूदन स्वर उस भयानक काली रात में सुनाई दे रहा था।

अगली सुबह।।
कुबाचा रियासत।।
एक व्यक्ति सर पर टोकरा लाधकर धीरे धीरे नदी की और बढ़ रहा है। वो अपना टोकरा किनारे रखता है और खुद नदी में उतर जाता है और अपने आप से बुदबुदा पड़ता है "पेट को भरने के लिए क्या कुछ नहीं करना पड़ता। आज तो मुझे वैसे भी देरी हो गई है। चल आजम अब काम पर लग जा। आज तो मछलियों से तुझे पूरा टोकरा भर लेना है।"
इतना कहकर वो नदी में हाथ पांव चलाने लगता है तभी उसके कानों में किसी छोटे बच्चे के रोने की आवाज आती है।
आजम - " कमाल है ऐसा तो ख्वाबों में होता है। मुझे भी कैसे कैसे वहम होने लगे। नदी में बच्चे के रोने की आवाज। नहीं नहीं ये मेरा वहम ही है।"
इतना कहकर वो फिर से मछलियां पकड़ने लग जाता है तभी उसके कानों में बच्चे के रोने की आवाज और भी तेजी से आने लगती है।
आजम धीरे धीरे अपना सर पीछे घुमाता है तो बिलकुल उसके पैरों के पास एक टोकरी में एक छोटा सा बच्चा लगातार रोए जा रहा था।
आजम ने उस बच्चे को देखा और अपने आप से बोला पड़ा " नदी में इस तरह बच्चे को टोकरी में बिठाकर किसने बहा दिया। लेकिन ये बच्चा इतना चमक कैसे रहा है। जैसे इसके चारों और कोई जादुई सुरक्षा कवच हो। ये कोई आम बच्चा नहीं हो सकता। इस बच्चे में कुछ तो खास बात है।"
इतना कहकर आजम ने उस बच्चे को अपनी बांहों में उठाकर बोला " ये बच्चा किसी का भी है लेकिन आज से मैं ही इसका पिता हूं। ये बच्चा तेजस्वी है और मेरे लिए मेरे जीवन में दिप्ती लेकर आया है। इसलिए आज से तुम्हारा नाम दीप्तिमान यानी मेरा बेटा फरदीन। आजम की ये आवाज उस सुनहरी सुबह हर और गूंजने लगी जैसे रात को जंगनुओ का शोर गूंजता है।

सतनाम वाहेगुरु।।