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खूनी साया - Novels
by FARHAN KHAN
in
Hindi Horror Stories
Khooni Saya [ Part - 1 ]• Based On An Original New Story.कहते हैं इन्सान अपनी परछाईं से बच सकता हेेै, अपने अतीत से नही,अपने कर्मो से बच सकता है अपने भाग्य से नही,अनहोनी से बच सकता है होनी से नही, होनी को ना आप टाल सकते हैं और ना मैं ये और बात है के ज़िन्दगी के इस चक्रर को समझने के लिए मुझे मौत के मुँह तक जाना पड़ा है,शायद आप इस बात को ना मानते हो,पर मैं मान चुका हूँ अब देखिए न मैं यँहा से हज़ारों मील दूर हूँ पर इस घर की खामोशी को सुनकर कौन कह सकता है, के आज जो यहाँ
खूनी साया Chapter - 1
कहते हैं..! इंसान अपनी परछाईं से बच सकता हेेै,
अपने अतीत से नही।
अपने करमो से बच सकता है, अपने भाग्य से नही।
अनहोनी से बच सकता है, होनी से नही।
होनी को ना ...Read Moreटाल सकते हैं और ना मैं,
ये और बात है के ज़िन्दगी के इस चक्रर को समझने के लिए मुझे मौत के मुँह तक जाना पड़ा है,
शायद आप इस बात को ना मानते हों पर मैं मान चुका हूँ
अब देखिए न मैं यँहा से हज़ारों मील दूर हूँ। पर इस घर की खामोशी को सुनकर कौन कह सकता है, के आज जो यहाँ होने वाला है, उसका असर मेरी जिंन्दगी और मौत दोनो पे हो
जब मैं घर पहुँचा तो मेरी छोटी बहन "जीनत" चुप- चाप एक किताब पढ़ रही थी, मैं धीरे से गया और उसके आँखों को बंद कर चुप चाप खड़ा हो गया, उसने पूछा कौन है फिर मैंने कहा जल्दी ...Read Moreछोटी कौन हूँ मैं? उसने मुस्कराते हुए कहा हामिद भाईजान आप आ गए फिर सब लोग कमरे से बाहर निकल आये और मुझे देखने लगे फिर मैने सालाम अर्ज किया, भाभी बोली आप ही का इन्तेज़ार हो रहा था, शाहबजादे बहुत देर कर दी आने में, फिर मैंंने भाईजान
कुछ ही देर बाद उस घर के अंदर से एक आदमी एक औरत के साथ सलाम अर्ज़ करता हुआ बाहर आया। और भाईजान से कहने लगा "मैं क़ासिम और ये मेरी बीवी रज्जो है" हम दोनों ही इस बँगले ...Read Moreदेख रेख करते हैं साहब! वैसे आपने बहुत देर कर दी आने में, भाईजान ने कहा हाँ दराशल हमें इस घर का पता ढूंढ़ने में ज़रा सी देर हो गयी, आप ऐसा करिये हमारे सामान गाड़ी से निकाल कर रखवाइए। फिर मैंने कहा भाईजान आप सब अंदर जाईये मैं और क़ासिम चाचा गाड़ी से सामान लेकर आते हैं। सब अंदर
खाना खाने के बाद सब अपने-अपने कमरे मे चले गए, अख्तर भाईजान अपना टाइपराइटर लेकर एक छोटे से कमरे कि ओर चले गए। वह कमरा बहुत ही भयानक और डरावना था। वहाँ से बाहर बगीचा नज़र आता था, भाईजान ...Read Moreके पास बैठ गए और अपनी नॉवेल के बारे में सोचने लगे। तभी सादिया भाभीजान आ पहुँचती है, सादिया भाभीजान : अरे... ये क्या? आज से ही लिखना शुरू कर दिया, कम से कम आज तो आराम कर लेते। अख्तर भाईजान : सादिया... देखो! मुझे बहुत काम है, तुम चलो बस मैं आता हुँ। सादिया भाभीजान : ओह..! काम तो कल भी हो
भाईजान जब अपने कमरे में आए तो बहुत ही डरे हुए थे। वह अंदर ही अंदर कुछ सोच रहे थे तभी भाभीजान उन्हें देखकर कहती हैं। सादिया भाभीजान : आप इतने परेशान क्यों लग रहे हैं। क्या हुआ? अख्तर ...Read More: कुछ भी तो नहीं देखो...! मुझे बहुत भूक लगी है। जल्द से जल्द नाश्ता का इंतेज़ाम करो। सादिया भाभीजान : सब लोग बाहर आपका ही इंतेज़ार कर रहे हैं। अख्तर भाईजान : तो चलो... चलते हैं। और ये बोलते हुए वह कमरे से बाहर बगीचे कि तरफ चले गए। भाभीजान मन ही मन कुछ सोचने लगी और परेशान होने