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अय्याश By Saroj Verma

अय्याश! ये ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसने समाज में अच्छे कार्यों के बदले केवल बदनामी ही पाई,दिल से अच्छे और सच्चे इन्सान की ऐसी दशा कर दी समाज ने कि फिर वो समाज मे अय्याश के नाम से...

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रस्बी की चिट्ठी किंजान के नाम By Prabodh Kumar Govil

आजा, मर गया तू?
मैं बरसों से चुप हूं। कुछ नहीं बोली। बोलती भी क्या? न जाने ये सब कैसे हो गया। मैं मर ही गई।
मैं यहां परलोक में आ गई। तू वहीं रह गया था दुनिया में। मैं अभागी तो रो...

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क्या वो एक वेश्या थी ? By Shiv Shanker Gahlot

नवीन दत्ता अपने दोस्त और मातहत काम करने वाले शान्ति दास के साथ बस से शाहदरा पहुंचा । दोनों गली तेलियान मे पहुंचकर कमल सरीन का मकान ढूंढने लगे । ये बेहद संकरी सी गली थी और हर दूसरे...

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गुनहगार By Kishanlal Sharma

अंततः माया मर गयी।उसकी लाश दो दिन तक अस्पताल में लावारिस पड़ी रही। लेकिन उसे लेने के लिए कोई नही आया।आखिर अस्पताल वालों को ही उसके क्रियाकर्म की व्यस्था करनी पड़ी।
माया अनाथ नही थी।...

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ऐसा क्यों ? By Captain Dharnidhar

आजकल के दौर में तो घरों में संभवतः तीन रोटी एक साथ परोसते देख भी ले तो हमें आश्चर्य नही होगा । किन्तु अधिकतर आपने देखा होगा थाली में तीन रोटी नहीं परोसते दो ही परोसते हैं इसके पीछे...

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मेरी लेखन यात्रा By Kishanlal Sharma

मेरा जन्म कृषक परिवार में हुआ था।पुश्तेनी पेशा खेती था।लेकिन बाद में सर्विस में भी आने लगे थे।मेरे बड़े ताऊजी रेलवे में ड्राइवर थे।उनसे छोटे खेती सम्हालते थे।उनसे छोटे हेड मास्टर...

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सपनो का शुभ अशुभ फल By Captain Dharnidhar

आदिकाल से मनुष्य द्वारा स्वप्न देखा जाता रहा है । इस बात का उल्लेख ऋग्वेद व उपनिषदादि धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। स्वप्न सिद्धि के मंत्रों उल्लेख इस बात को पुष्ट करता है किअ काल...

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लीला By अशोक असफल

जिन दिनों कुएँ भरे पड़़े थे और नहर-बम्बों में पानी का पार न था, सारा गाँव धान की खेती करता। वह भी अपने नौजवान पति लाल सिंह के संग मिलकर पानी और कीचड़ से भरे खेत में धोती का कछोटा मार...

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मूलपूंजी By Shwet Kumar Sinha

दोपहर के दो बजे। तेज धूप और उमस भरी गर्मी। आग की भांति तपता दिल्ली रेलवे स्टेशन का वह प्लेटफॉर्म, जहाँ मुसाफिरो की निगाहें ट्रेन के इंतज़ार में सूने पडे ट्रैक पर टिकी थी। तभी पटरियो...

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यहां... वहाँ... कहाँ ? By S Bhagyam Sharma

यहां... वहाँ... कहाँ ? मूल लेखक राजेश कुमार राजेश कुमार इस उपन्यास के मूल तमिल लेखक राजेश कुमार है। आपने 50 वर्षों में डेढ़ हजार उपन्यास लिखे और 2000 कहानियां लिखी। आपकी उपन्यास और...

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अय्याश By Saroj Verma

अय्याश! ये ऐसे व्यक्ति की कहानी है जिसने समाज में अच्छे कार्यों के बदले केवल बदनामी ही पाई,दिल से अच्छे और सच्चे इन्सान की ऐसी दशा कर दी समाज ने कि फिर वो समाज मे अय्याश के नाम से...

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रस्बी की चिट्ठी किंजान के नाम By Prabodh Kumar Govil

आजा, मर गया तू?
मैं बरसों से चुप हूं। कुछ नहीं बोली। बोलती भी क्या? न जाने ये सब कैसे हो गया। मैं मर ही गई।
मैं यहां परलोक में आ गई। तू वहीं रह गया था दुनिया में। मैं अभागी तो रो...

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नवीन दत्ता अपने दोस्त और मातहत काम करने वाले शान्ति दास के साथ बस से शाहदरा पहुंचा । दोनों गली तेलियान मे पहुंचकर कमल सरीन का मकान ढूंढने लगे । ये बेहद संकरी सी गली थी और हर दूसरे...

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गुनहगार By Kishanlal Sharma

अंततः माया मर गयी।उसकी लाश दो दिन तक अस्पताल में लावारिस पड़ी रही। लेकिन उसे लेने के लिए कोई नही आया।आखिर अस्पताल वालों को ही उसके क्रियाकर्म की व्यस्था करनी पड़ी।
माया अनाथ नही थी।...

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ऐसा क्यों ? By Captain Dharnidhar

आजकल के दौर में तो घरों में संभवतः तीन रोटी एक साथ परोसते देख भी ले तो हमें आश्चर्य नही होगा । किन्तु अधिकतर आपने देखा होगा थाली में तीन रोटी नहीं परोसते दो ही परोसते हैं इसके पीछे...

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मेरी लेखन यात्रा By Kishanlal Sharma

मेरा जन्म कृषक परिवार में हुआ था।पुश्तेनी पेशा खेती था।लेकिन बाद में सर्विस में भी आने लगे थे।मेरे बड़े ताऊजी रेलवे में ड्राइवर थे।उनसे छोटे खेती सम्हालते थे।उनसे छोटे हेड मास्टर...

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सपनो का शुभ अशुभ फल By Captain Dharnidhar

आदिकाल से मनुष्य द्वारा स्वप्न देखा जाता रहा है । इस बात का उल्लेख ऋग्वेद व उपनिषदादि धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। स्वप्न सिद्धि के मंत्रों उल्लेख इस बात को पुष्ट करता है किअ काल...

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लीला By अशोक असफल

जिन दिनों कुएँ भरे पड़़े थे और नहर-बम्बों में पानी का पार न था, सारा गाँव धान की खेती करता। वह भी अपने नौजवान पति लाल सिंह के संग मिलकर पानी और कीचड़ से भरे खेत में धोती का कछोटा मार...

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मूलपूंजी By Shwet Kumar Sinha

दोपहर के दो बजे। तेज धूप और उमस भरी गर्मी। आग की भांति तपता दिल्ली रेलवे स्टेशन का वह प्लेटफॉर्म, जहाँ मुसाफिरो की निगाहें ट्रेन के इंतज़ार में सूने पडे ट्रैक पर टिकी थी। तभी पटरियो...

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यहां... वहाँ... कहाँ ? By S Bhagyam Sharma

यहां... वहाँ... कहाँ ? मूल लेखक राजेश कुमार राजेश कुमार इस उपन्यास के मूल तमिल लेखक राजेश कुमार है। आपने 50 वर्षों में डेढ़ हजार उपन्यास लिखे और 2000 कहानियां लिखी। आपकी उपन्यास और...

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