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हिमालय की ढलानों पर रात पूरी तरह उतर चुकी थी। देवदार के घने जंगल के बीच बने छोटे...
ईशान और तानिया अब तक ऐसे ही एक दूसरे में खोए हुए थे। फिर थोड़ी देर बाद दोनो एक द...
कोने से एक और छाया उभरी—ये छाया बाकी सब से अलग थी। इसमें गुस्सा नहीं था, दर्द था...
अध्याय 2 – 700 साल पुरानी हवेलीसुबह के 4:05 AM हो चुके थे।मुंबई की नमी भरी हवा म...
वो बारिश वाली शाम उनके रिश्ते मेंएक खूबसूरत शुरुआत छोड़ गई थी।अगले कुछ दिनों में...
टूटे हुए सपने — दर्द की वो किताब, जिसकी हर पन्ना हमें नया बनाता है सपने सिर्फ़ न...
वक़्त का पहियालेखक: विजय शर्मा एरीमार्च २०२०। दिल्ली की मेट्रो में खड़ा था मैं,...
भारत का इतिहास हमेशा से विदेशी व्यापारियों और यात्रियों को आकर्षित करता रहा है।...
दूसरी तरफ से आई आवाज को सुनकर डॉक्टर कुलकर्णी कहते है. क्या हुआ है डॉक्टर शेट्टी...
तो पेश है —ऑपरेशन: आईना(“जिस चेहरा खोज रहे थे… वो अब खुले में है।”)Location: कश्...
"नहीं! ऐसा मत करो, छोड़ दो please..... जाने दो! नहीं! नहीं!" "रात्रि उठ! ऐसा कहकर मेघा (रात्रि की मां) ने रात्रि को झकझोर दिया। कितनी बार कहा है इस लड़की को की छोड़...
सुबह के पाँच बजे। आरती आँगन में झाड़ू लगा रही थी। ठंडी हवा के साथ उसकी साँसों में थकान भी मिल गई थी। माँ खाँस रही थीं और छोटा भाई अमित अभी तक बिस्तर में गोल होकर पड़ा था। आरती (...
कभी-कभी ज़िंदगी वो सवाल पूछ लेती है... जिनका जवाब सिर्फ ख़ामोशी के पास होता है। और मोहब्बत... वो अक्सर वहीं से शुरू होती है, जहाँ लोग टूट कर बिखर जाते हैं। सहर की हल्की सी रौ...
सड़कों पर रोज़ की तरह भीड़ दौड़ रही थी। हर कोई कहीं पहुंचने की जल्दी में था। लेकिन उन्हीं चेहरों के बीच एक चेहरा ऐसा भी था, जो न दौड़ रहा था, न रुक रहा था — बस चल रहा था... अ...
वो एक पुरानी, तीन मंज़िला इमारत थी — शहर के शोर से कुछ दूर, जहाँ दीवारों पर समय के निशान उभर आए थे। इमारत की दरारों में पुराने नोट्स की स्याही अब भी महकती थी, जैसे हर दीवार किसी अ...
“आलीज़ा, जल्दी चलो! मगरिब का वक़्त हो गया है।” ज़ायरा की आवाज़ फिर कमरे में गूंजी, लेकिन आलीज़ा को जैसे सुनाई ही नहीं दे रहा था। वो अपने बिस्तर पर अधलेटी, गहरी निगाहों से किताब के...
बेरहम सईया यह उनकी तीसरी एनिवर्सरी थी और प्राची खुशी-खुशी अपने पति के लिए एक शानदार डिनर की तैयारी कर रही थी, नितिन काम के सिलसिले में बाहर था लेकिन वह कभी भी घर आ जाता था, जिससे व...
सुबह की ठंडी हवा, कॉलेज कैंपस की हलचल और पेड़ों पर बैठे परिंदों की चहचहाहट—सब मिलकर उस दिन को जैसे खास बना रहे थे। प्रेम हमेशा की तरह अपनी किताबें थामे, थोड़ा संकोच और थोड़ा आत्मवि...
आज प्रकृति का पहला दिन था रघुवंशी मीडिया में — उसकी ड्रीम जॉब। एक नामचीन पत्रकार बनने की ओर पहला क़दम। वो अभी फील्ड रिपोर्टर नहीं बनी थी, पर अब पत्रकार थी — कागज़ पर भी, और ख़्वा...
हुक्म था — बचाओ, हसरत थी — छीन लो... और मोहब्बत कभी इजाज़त नहीं मांगती।" "प्यारे Parahearts परिवार, अध्याय 7 में मुझसे अनजाने में प्रातिलिपि पर रेटिंग लिख दी गई, जबकि मेरा...
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