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इश्क और अश्क By Aradhana

"नहीं! ऐसा मत करो, छोड़ दो please..... जाने दो! नहीं! नहीं!"

"रात्रि उठ! ऐसा कहकर मेघा (रात्रि की मां) ने रात्रि को झकझोर दिया। कितनी बार कहा है इस लड़की को की छोड़...

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Dil ka Kirayedar By Sagar Joshi

सुबह के पाँच बजे। आरती आँगन में झाड़ू लगा रही थी। ठंडी हवा के साथ उसकी साँसों में थकान भी मिल गई थी। माँ खाँस रही थीं और छोटा भाई अमित अभी तक बिस्तर में गोल होकर पड़ा था।

आरती (...

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सिसकती वफ़ा: एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल By Babul haq ansari

कभी-कभी ज़िंदगी वो सवाल पूछ लेती है... जिनका जवाब सिर्फ ख़ामोशी के पास होता है।
और मोहब्बत... वो अक्सर वहीं से शुरू होती है, जहाँ लोग टूट कर बिखर जाते हैं।

सहर की हल्की सी रौ...

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खामोश ज़िंदगी के बोलते जज़्बात By Babul haq ansari

सड़कों पर रोज़ की तरह भीड़ दौड़ रही थी।

हर कोई कहीं पहुंचने की जल्दी में था।

लेकिन उन्हीं चेहरों के बीच एक चेहरा ऐसा भी था, जो न दौड़ रहा था, न रुक रहा था — बस चल रहा था... अ...

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अधूरा इश्क़. By Naina Khan

वो एक पुरानी, तीन मंज़िला इमारत थी — शहर के शोर से कुछ दूर, जहाँ दीवारों पर समय के निशान उभर आए थे।
इमारत की दरारों में पुराने नोट्स की स्याही अब भी महकती थी, जैसे हर दीवार किसी अ...

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Rebirth in Novel Villanes By Aaliya khan

“आलीज़ा, जल्दी चलो! मगरिब का वक़्त हो गया है।”
ज़ायरा की आवाज़ फिर कमरे में गूंजी, लेकिन आलीज़ा को जैसे सुनाई ही नहीं दे रहा था। वो अपने बिस्तर पर अधलेटी, गहरी निगाहों से किताब के...

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बेरहम सईया By riya pandey

बेरहम सईया यह उनकी तीसरी एनिवर्सरी थी और प्राची खुशी-खुशी अपने पति के लिए एक शानदार डिनर की तैयारी कर रही थी, नितिन काम के सिलसिले में बाहर था लेकिन वह कभी भी घर आ जाता था, जिससे व...

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Love's Ashes By Baalak lakhani

सुबह की ठंडी हवा, कॉलेज कैंपस की हलचल और पेड़ों पर बैठे परिंदों की चहचहाहट—सब मिलकर उस दिन को जैसे खास बना रहे थे। प्रेम हमेशा की तरह अपनी किताबें थामे, थोड़ा संकोच और थोड़ा आत्मवि...

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एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा By Aradhana

आज प्रकृति का पहला दिन था रघुवंशी मीडिया में — उसकी ड्रीम जॉब।
एक नामचीन पत्रकार बनने की ओर पहला क़दम।
वो अभी फील्ड रिपोर्टर नहीं बनी थी, पर अब पत्रकार थी — कागज़ पर भी, और ख़्वा...

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हुक्म और हसरत By Diksha mis kahani

हुक्म था — बचाओ, हसरत थी — छीन लो... और मोहब्बत कभी इजाज़त नहीं मांगती।"
"प्यारे Parahearts परिवार, अध्याय 7 में मुझसे अनजाने में प्रातिलिपि पर रेटिंग लिख दी गई, जबकि मेरा...

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इश्क और अश्क By Aradhana

"नहीं! ऐसा मत करो, छोड़ दो please..... जाने दो! नहीं! नहीं!"

"रात्रि उठ! ऐसा कहकर मेघा (रात्रि की मां) ने रात्रि को झकझोर दिया। कितनी बार कहा है इस लड़की को की छोड़...

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Dil ka Kirayedar By Sagar Joshi

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आरती (...

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सिसकती वफ़ा: एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल By Babul haq ansari

कभी-कभी ज़िंदगी वो सवाल पूछ लेती है... जिनका जवाब सिर्फ ख़ामोशी के पास होता है।
और मोहब्बत... वो अक्सर वहीं से शुरू होती है, जहाँ लोग टूट कर बिखर जाते हैं।

सहर की हल्की सी रौ...

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खामोश ज़िंदगी के बोलते जज़्बात By Babul haq ansari

सड़कों पर रोज़ की तरह भीड़ दौड़ रही थी।

हर कोई कहीं पहुंचने की जल्दी में था।

लेकिन उन्हीं चेहरों के बीच एक चेहरा ऐसा भी था, जो न दौड़ रहा था, न रुक रहा था — बस चल रहा था... अ...

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अधूरा इश्क़. By Naina Khan

वो एक पुरानी, तीन मंज़िला इमारत थी — शहर के शोर से कुछ दूर, जहाँ दीवारों पर समय के निशान उभर आए थे।
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“आलीज़ा, जल्दी चलो! मगरिब का वक़्त हो गया है।”
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बेरहम सईया By riya pandey

बेरहम सईया यह उनकी तीसरी एनिवर्सरी थी और प्राची खुशी-खुशी अपने पति के लिए एक शानदार डिनर की तैयारी कर रही थी, नितिन काम के सिलसिले में बाहर था लेकिन वह कभी भी घर आ जाता था, जिससे व...

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Love's Ashes By Baalak lakhani

सुबह की ठंडी हवा, कॉलेज कैंपस की हलचल और पेड़ों पर बैठे परिंदों की चहचहाहट—सब मिलकर उस दिन को जैसे खास बना रहे थे। प्रेम हमेशा की तरह अपनी किताबें थामे, थोड़ा संकोच और थोड़ा आत्मवि...

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एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा By Aradhana

आज प्रकृति का पहला दिन था रघुवंशी मीडिया में — उसकी ड्रीम जॉब।
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वो अभी फील्ड रिपोर्टर नहीं बनी थी, पर अब पत्रकार थी — कागज़ पर भी, और ख़्वा...

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हुक्म और हसरत By Diksha mis kahani

हुक्म था — बचाओ, हसरत थी — छीन लो... और मोहब्बत कभी इजाज़त नहीं मांगती।"
"प्यारे Parahearts परिवार, अध्याय 7 में मुझसे अनजाने में प्रातिलिपि पर रेटिंग लिख दी गई, जबकि मेरा...

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