हवा और सूरज Learn Hindi - Story for Children and Adults

Hindi   |   06m 33s

Who is stronger, the blazing Sun or the proud Wind? हवा और सूरज एक संताली लोक कथा एक दोपहर, हवा और सूरज इस बात पर बहस कर रहे थे कि ज़्यादा शक्तिशाली कौन है। मैंने बड़े-बड़े पेड़ों को जड़ से उखाड़ फेंका है और लाखों जहाज़ों को डुबो दिया है। तुम तो इनमें से कोई भी काम नहीं कर सकते,\" हवा ने गर्व के साथ कहा। सूरज ने मुस्कुराते हुए कंधे उचकाए। इसका यह मतलब नहीं कि तुम ज़्यादा ताकतवर हो,\" सूरज ने कहा। मैं तुम्हें बादलों से ढक सकती हूँ ताकि कोई तुम्हे देख न सके। तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते हो।\" हवा ने कहा। मगर सूरज सहजता से मुस्कुराया, मैं अब भी यही सोचता हूँ कि मैं तुमसे ज़्यादा ताकतवर हूँ,\" सूरज ने कहा। हवा बुड़बुड़ाने लगी। उसे यह विचार ज़रा भी अच्छा नहीं लग रहा था कि सूरज उससे ज़्यादा शक्तिशाली है। क्यों न हम एक प्रतियोगिता कर देखें,\" हवा ने कहा। वह तेज़ी से चारों ओर चक्कर लगाने लगी, किसी ऐसी चीज़ को तलाशते हुए जिसपर वह अपनी ताकत का प्रदर्शन कर सके। क्या हम यह देखें कि ज़्यादा-से-ज़्यादा घरों को कौन गिरा सकता है?\" हवा बोली। हम इसे थोड़ा आसान ही रखें। वहाँ उस आदमी को देख रही हो?\" सूरज ने कहा। हवा ने नीचे सड़क पर एक आदमी को चलते हुए देखा। वह अपने-आप में खुश, सीटी बजाता चला जा रहा था और उसके कंधे पर एक शॉल पड़ा था। क्या हम यह देखें कि उसे सड़क से नीचे उतरने पर पहले कौन मजबूर करता है?\" हवा ने कहा। नहीं, उससे उसे चोट पहुँचेगी।\" चलो, बस यह देखते हैं कि कौन इसका शॉल उतरवा सकता है,\" सूरज ने कहा। हवा अपने कंधे उचकाते हुए तेज़ी से आसमान के चक्कर लगाने लगी। उसने ज़ोर-ज़ोर से साँस लेते हुए पेड़ों के पत्तों को कंपा डाला। आकाश की ओर गुस्से से देखते हुए उस आदमी ने अपने शॉल को और ज़ोर से अपने चारों ओर लपेट लिया। घनघोर बादल आकाश में छा गए। जानवर आश्रय के लिए दौड़ने-भागने लगे और हवा गुर्राने लगी। उस आदमी ने और ज़ोर से अपना शॉल लपेट लिया। जल्द ही बादल छंट गए। हवा ने अपनी पूरी शक्ती खर्च कर डाली। मैं हार मानती हूँ, यह मैं नहीं कर सकती,\" हवा हाँफते हुए बोली। आराम करने के लिए वह एक बादल के ऊपर जा दुबकी। अब मेरी बारी है, सूरज ने कहा। उसने आलस से जम्हाई लेते हुए अपनी किरणों को फैला दिया। वह आकाश में ज़्यादा चमकीला और ज़्यादा बड़ा होता मालूम पड़ रहा था। जल्दी ही इतनी गर्मी हो गई जैसे गर्मी का दिन हो। उस आदमी ने आकाश की ओर देखा और अपने माथे से पसीना पोंछा। आज हमारे यहाँ कितना अजीब मौसम हो रहा है!\" उसने खुद से कहा। फिर उसने शॉल उतार कर बगल में दबा लिया। लगता है की तुम जीत गये,\" हवा ने खुशी-खुशी यह स्वीकार कर लिया। ताली बजाते हुए उसने पेड़ों के पत्तों में सरसराहट पैदा कर दी। किसी आदमी का शॉल उतरवाने के लिए तुम्हें उसे नीचे नहीं पटक देना होता,\" सूरज ने शरारत-भरी मुस्कान के साथ कहा। वे खूब हंसे और सड़क पर जा रहे उस आदमी को देखने लगे जो अपने-आप में खुश, सीटी बजाता हुआ चला जा रहा था। Illustration: Emanuele Scanziani Translation: PlanetRead Narration: Vandana Maheswari Music: Lidislav Brozman & Riccardo Carlotto Animation: BookBox

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